12.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

संयुक्त राष्ट्र में समलैंगिकता को लेकर रुसी प्रस्ताव के पक्ष में भारत ने किया मतदान

संयुक्त राष्ट्र : भारत सहित 43 देशों ने रुस की ओर से तैयार उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है जिसमें समलैंगिक रिश्ते रखने वाले संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों के लिए फायदों को हटाने का प्रावधान किया गया था, हालांकि यह प्रस्ताव 80 देशों के विरोध करने के बाद महासभा की समिति में पारित […]

संयुक्त राष्ट्र : भारत सहित 43 देशों ने रुस की ओर से तैयार उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है जिसमें समलैंगिक रिश्ते रखने वाले संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों के लिए फायदों को हटाने का प्रावधान किया गया था, हालांकि यह प्रस्ताव 80 देशों के विरोध करने के बाद महासभा की समिति में पारित नहीं हो पाया.
प्रशासनिक और बजट संबंधी मुद्दों को देखने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा की पाचंवी समिति ने कल इस रुसी प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया. इस प्रस्ताव का मकसद समलैंगिक जीवनसाथी वाले संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों को विवाह संबंधी वित्तीय फायदों को रोकना था.
प्रस्ताव पारित होने की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को कर्मवारियों को फायदों एवं भत्तों से जुडे अपनी नीति को वापस लेना पडता.
बीते साल गर्मियों में मून की ओर से बनाई गई नीति में संयुक्त राष्ट्र के सभी कर्मचारियों के लिए समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गई थीं. इससे समलैंगिक विवाह करने वाले कर्मचारी वित्तीय फायदों एवं भत्तों का लाभ उठा सकते हैं.
भारत, चीन, मिस्र, इराक, जॉर्डन, कुवैत, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सउदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. 37 देश मतदान से अनुपस्थित रहे. भारत में समलैंगिक संबंध रखना कानूनी रुप से अपराध है.
बान की मून समलैंगिकों और ट्रांसजेंडर के लिए समान अधिकारों के मजबूत पैरोकार रहे हैं. उन्होंने कहा था कि सभी कर्मचारियों के लिए व्यापक समानता के रुख को लेकर उनको फक्र है.
पिछले साल इस नीति को पेश करते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने सभी सदस्य देशों से कहा था कि होमोफोबिया को खारिज करने के लिए एकजुट हो जाएं. दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र के करीब 40,000 कर्मचारी इस नीति के दायरे में आते हैं.
मून के उप प्रवक्ता फरहान हक ने संवाददाताओं को बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव उनका समर्थन करने वालों की सराहना करते हैं.
रुसी प्रस्ताव का विरोध करने में अमेरिका ने अगुवाई की. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि सामंथा पावर ने कहा कि मतदान कभी नहीं होना चाहिए था क्योंकि इससे संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रशासनिक फैसले लेने संबंधी अधिकार को चुनौती देने की खतरनाक परिपाटी बनी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें