भारत-अमेरिका संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत: अरुण जेटली

वाशिंगटन: भारत-अमेरिका संबंध सिर्फ दो सरकारों के बीच का संबंध नहीं है बल्कि इसे देनों देशों की जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त है और यह पहले के मुकाबले कहीं अधिक मजबूत है. यह बात वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कही है. जेटली ने यह टिप्पणी कल यहां अपने सम्मान में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 16, 2015 2:42 PM

वाशिंगटन: भारत-अमेरिका संबंध सिर्फ दो सरकारों के बीच का संबंध नहीं है बल्कि इसे देनों देशों की जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त है और यह पहले के मुकाबले कहीं अधिक मजबूत है. यह बात वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कही है.

जेटली ने यह टिप्पणी कल यहां अपने सम्मान में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक रात्रिभोज समारोह में कही जिसमें ओबामा सरकार के कई अधिकारी और वरिष्ठ मंत्री शामिल थे. ऐसे मौके बिरले ही हैं जबकि अमेरिका आए किसी मंत्री के स्वागत समारोह में अमेरिकी प्रशासन के तीन तीन मंत्री स्तर के अधिकारियों से इतने वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित हुए हों.

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्वबैंक की ग्रीष्माकालीन सालाना बैठक में हिस्सा लेने आए जेटली ने कहा ‘‘यह संबंध सिर्फ सरकारों के बीच नहीं है बल्कि इसे जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त है.’’ जेटली ने अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में कहा कि शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी भारत-अमेरिका गठजोड के नए दौर का परिचायक है.

उन्होंने कहा ‘‘प्रधानमंत्री मोदी पिछले साल सितंबर में अमेरिका में थे. राष्ट्रपति बराक ओबामा पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान दो बार भारत की यात्र की है. गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के तौर पर आने पर उनका जिस तरह का स्वागत किया गया वह सिर्फ इसी तथ्य का समर्थन करता है कि इस संबंध को जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त है.’’ जेटली ने कहा कि भारत बडे बदलाव के दौर से गुजर रहा है.

उन्होंने कहा ‘‘यह ऐसा बदलाव है जबकि हम आने वाले दिनों में अपनी भूमिका देख सकत हैं.’’ जेटली ने कहा कि यह भूमिका अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और विरासत के रप में चली आ रही अनेक समस्याओं से पीछा छुडाने की है ताकि सरकार अपनी जनता की बेहतर तरीके से सेवा कर सके.

इस समारोह में अमेरिका के वित्त मंत्री जैक ल्यू, परिवहन मंत्री एंथनी फॉक्स और अमेरिका व्यापार प्रतिनिधि माइक फ्रोमैन शमिल थे. इसके अलावा समारोह में कई अमेरिकी सांसद भी थे. इनमें प्रतिनिधि सभा की विदेशी मामलों मी समिति के चेयरमैन एड रायस, और सांसद तुलसी गब्बार्ड भी शामिल थीं.

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