ईरान के प्रतिरोध और अमेरिकी दबाव से रुकी यमन पर सऊदी अरब की बमबाजी

सना : सऊदी अरब ने कल कहा है कि यमन में पिछले एक महीने से उसकी तरफ से जारी हवाई हमलों और बमबारी को रोक दिया जायेगा. सऊदी अरब की तरफ से ये हवाई हमले यमन के शिया विद्रोहियों पर किये जा रहे थे. सऊदी अरब की तरफ से किये गए इन हमलों को विध्वंसकारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 22, 2015 1:05 PM
सना : सऊदी अरब ने कल कहा है कि यमन में पिछले एक महीने से उसकी तरफ से जारी हवाई हमलों और बमबारी को रोक दिया जायेगा. सऊदी अरब की तरफ से ये हवाई हमले यमन के शिया विद्रोहियों पर किये जा रहे थे.
सऊदी अरब की तरफ से किये गए इन हमलों को विध्वंसकारी मानवीय संकट के रूप में देखा जा रहा था. ईरान की तरफ से भी इन हमलों का कड़ा विरोध किया जा रहा था जिसको देखते हुए ऐसा लगने लगा था कि यमन का संकट इस पूरे क्षेत्र में बड़े तनाव का कारण बन सकता है.
दरअसल, सऊदी अरब की तरफ से इन हमलों को रोकने की घोषणा के पीछे अमेरिकी दबाव असली कारण माना जा रहा है. ओबामा प्रशासन ने हाल ही में सऊदी अरब और इस इलाके के दूसरे सुन्नी देशों पर यमन के शिया मुस्लिम विद्रोहियों पर किये जा रहे हमलों को रोकने का दबाव बनाया था.
इन हवाई हमलों के लिए सैन्य और खुफिया मामलों में अमेरिकी मदद की वजह से भारी संख्या में लोगों के मारे जाने से इस मामले में अमेरिका की भी आलोचना होने लगी थी. इसके अलावा ईरान की कड़ी आपत्ति जैसे कारणों ने अमेरिका को इन हमलों को रोकने का निर्देश देने को मजबूर किया.
यमन की राजधानी सना में पिछले तीन हफ्तों से रोज बमबारी की जा रही थी जिसकी वजह से यहां की फैक्टरियों, गैस स्टेशनों और रिहायशी इलाकों में बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. अकेले 20 अप्रैल को हुए एक हवाई हमले में 25 लोग मारे गए थे.
हफ्तों से जारी इन हमलों में अब तक हजारों लोगों के मारे जाने की खबर है. इन हमलों की वजह से अल-कायदा भी इस इलाके में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिशों में लग चुका है. ईरान के विरोध की वजह से बढ़ते तनाव की वजह से ईरान और अमेरिका के बीच सैन्य तनाव पैदा होने की आशंका मजबूत होती जा रही थी.
ऐसे में ईरान को लेकर किये जा रहे परमाणु मुद्दे पर अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ बातचीत के भी अनुकूल परिणाम निकलने पर संकट के बादल मंडराने का डर पैदा हो गया था.
मंगलवार को जारी एक इंटरव्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि उन्हें आशा है कि यमन में जारी संकट का अंत होगा. यमन हमेशा ही एक मुश्किल स्थितियों वाला देश रहा है.
यमन में बहुत ज्यादा पैमाने पर लोग परेशानियां झेल रहे हैं. ऐसे में जरुरी है कि सभी पक्षों के लोग एक साथ, एक प्लेटफॉर्म पर मिलकर इस संकट का समाधान निकलने की कोशिश करें.

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