नेपाल में आये भयंकर जललजे से निपटने के लिए भारत ने अपना हाथ उसी समय बढ़ा दिया था जिस समय किसी को समझ भी नहीं आया कि आखिर इस घड़ी में किया क्या जाये. शनिवार को आये एक बड़े भूकंप ने नेपाल सहित उत्तर भारत को भी हिला कर रख दिया. भूकंप के तुरंत बाद किसी को अंदाजा भी नहीं था कि की जानमाल की इतनी ज्यादा क्षति होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के कारण ही नेपाल सहित देश के भूकंप प्रभावी हिस्सों में तत्काल सहायता पहुंचा दी गयी.
नेपाल से निकाले गये भारतीयों ने मोदी-मोदी के नारे लगये. इनके साथ-साथ नेपाल के नागरिकों ने भी भारत की ओर से दी गयी तत्काल सहायता की भूरी-भूरी प्रशंसा की. नरेंद्र मोदी ने आपदा प्रबंधन दल के साथ डॉग स्क्वायड भी भेजा है जो मलबे के नीचे दबे जिंदा लोगों की शिनाख्त करेगा और उन्हें बचाना आसान हो जायेगा. इस बीच मोदी ने रेडियो पर ‘मन की बात’ में भी पूरे समय नेपाल में आये भूकंप का ही जिक्र किया.
नेपाल से हजारो भारतीयों को सुरक्षित तो निकाला ही गया, नेपाली नागरिकों की सहायता के लिए भी भारतीय आपदा प्रबंधन दल जी जान से जुटा हुआ है. शनिवार को आये जलजले के बाद आज दूसरे दिन भी नेपाल में लगातार कई बार भूकंप के झटके महसूस किये गये. इस बीच विभिन्न देशों की ओर से नेपाल के सहायतार्थ हाथ बढाए गये हैं. आइये जानते है किस देश ने नेपाल के सहयोग के लिए क्या किया.
अमेरिका ने नेपाल भेजे सहायताकर्मी
अमेरिका ने आज राहत सामग्री और करीब 70 राहत कर्मियों के साथ एक सैन्य विमान भूकंप प्रभावित नेपाल भेजा. सी-17 ग्लोबमास्टर विमान आज सुबह डेलवेयर स्थित डोवर एयरफोर्स बेस से नेपाल के लिए रवाना हुआ. इसके कल नेपाल पहुंच जाने की उम्मीद है. पेंटागन के प्रवक्ता कर्नल स्टीवन वारेन ने बताया कि विमान में यूएसएड आपदा सहायता मोचन टीम सहित करीब 70 राहतकर्मी और कई पत्रकार तथा कई टन सामान है.
ईयू ने नेपाल के लिए 32.5 लाख डॉलर की सहायता की घोषणा की
यूरोपीय संघ ने रविवार को नेपाल के लिए 32.5 लाख डॉलर की आपातकालीन सहायता जारी की जहां भयावह भूकंप से 2,500 से ज्यादा लोग मारे गये हैं. यह सहायता यूरोपीय संघ के देशों द्वारा अलग-अलग दी जाने वाली राशि से अलग है. ईयू की कार्यकारी शाखा ने एक बयान में कहा, ‘आयोग की आपातकालीन सहायता बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में जरुरतमंदों के लिए जाएगी.’
पाकिस्तान ने राहत सामग्री के साथ दो विमान नेपाल भेजे
पाकिस्तान ने आज राहत सामग्री, एक फील्ड अस्पताल, सहयोगी स्टाफ और राहतकर्मियों के साथ दो विमान भूकंप प्रभावित नेपाल भेजे. विदेश विभाग के कार्यालय ने बताया कि पाकिस्तान वायुसेना के दो सी-130 विमान आज राहत सामग्री लेकर काठमांडो के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचे. विभाग ने एक बयान जारी कर बताया कि राहत सामग्री में तैयार खाने का सामान, मिनरल वाटर, टेंट, कंबल, मोबाइल अस्पताल, और जीवनरक्षक दवाइयां शामिल हैं.
नेपाल को 33 लाख डॉलर की भूकंप सहायता उपलब्ध कराएगा चीन
चीन ने आज कहा कि वह भूकंप प्रभावित नेपाल को 33 लाख डॉलर की मानवीय सहायता उपलब्ध कराएगा. हिमालयी देश में भूकंप से 2,350 से अधिक लोग मारे गये हैं. चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि नेपाल को तंबुओं, कंबलों और जनरेटरों की आपूर्ति सहित राहत सामग्री चार्टर्ड विमानों के जरिए भेजी जाएगी. इसने कहा कि नेपाल की मांगों के अनुसार चीन आगे और सहायता देगा. नेपाल में आये 7.9 तीव्रता वाले भूकंप से दो हजार से अधिक लोग मारे गये हैं. चाइना इंटरनेशनल सर्च एंड रेस्क्यू टीम के 62 सदस्य आज नेपाल की राजधानी काठमांडो पहुंचे और भूकंप राहत कार्य शुरु कर दिया. चीन ने नेपाल में फंसे अपने 600 से अधिक पर्यटकों को निकालने के लिए कई चार्टर्ड विमान लगाए हैं.
नेपाल में बडा राहत अभियान चलाएगा संयुक्त राष्ट्र : बान की मून
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भूकंप प्रभावित नेपाल को आज आश्वासन दिया कि विश्व निकाय वहां एक बडा राहत अभियान चलाएगा और मानवीय संकट से निबटने में उसकी मदद करेगा. बान ने नेपाल सरकार और भूकंप से प्रभावित लोगों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय खोज एवं बचाव अभियानों के समन्वय में सरकार की मदद करेगा. देश में कल आए 7.9 तीव्रता के भूकंप के कारण करीब 2000 लोगों की मौत हो गई है और 5000 अन्य लोग घायल हुए हैं.
महासचिव बान ने एक बयान में कहा, ‘तबाही की सूचनाएं अब भी सामने आ रही हैं और भूकंप के कारण मारे गये, घायल हुए और इससे प्रभावित लोगों की संख्या लगातार बढ रही है.’ उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि कई लोगों की मौत हुई है. नेपाल की अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर को काफी नुकसान हुआ है. संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय खोज एवं राहत अभियानों के समन्वय में नेपाल सरकार की मदद कर रहा है और एक बडा राहत प्रयास शुरू करने की तैयारी कर रहा है.’
संयुक्त राष्ट्र ने काठमांडो घाटी के अस्पतालों में बडी संख्या में मौजूद लोगों को लेकर चिंता व्यक्त की. अस्पतालों में शवों को रखने के लिए कमरे कम पड रहे हैं और वे आपात सेवाओं की आपूर्ति की कमी से जूझ रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के क्षेत्रीय कार्यालयों ने बताया कि पूर्वी इलाका उतनी बुरी तरह प्रभावित नहीं हुआ है और तराई सबसे कम प्रभावित हुआ है.