काठमांडो : नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में मारे गए 57 विदेशियों में से 41 लोग भारतीय हैं. इमारतों को जमींदोज और बिजली के खंभों और पेडों को जडों से उखाड फेंकने वाला यह भीषण भूकंप अपने पीछे तबाही और दर्द का एक भयावाह मंजर छोड गया है.
नेपाल पुलिस द्वारा जारी बयान के अनुसार, भूकंप में मरने वाले भारतीयों की संख्या 41 हो चुकी है. इस भूकंप में कुल 57 विदेशी नागरिक मारे गए थे. बयान में कहा गया, ‘‘अब तक भूकंप में 7,276 लोग मारे जा चुके हैं और 14,267 अन्य लोग घायल हैं.’’ बयान में कहा गया कि घायल होने वाले लोगों में कम से कम 10 भारतीय शामिल थे.वित्त मंत्री राम शरण महत ने कहा है कि मृतकों की संख्या ‘‘कहीं ज्यादा’’ हो सकती है. इसी बीच, भारतीय वायुसेना के एक दल ने गोरखा जिले के एक सुदूर गांव से 22 बौद्ध भिक्षुओं को बचाया है. यह जिला 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप का केंद्र था.
भारतीय दूतावास के सूत्रों ने यहां कहा कि इन भिक्षुओं को भारतीय सेना के हेलीकॉप्टरों की मदद से हिनांग गोंपा से बचाया गया. भारत के सबसे युवा एवरेस्ट पर्वतारोही अर्जुन वाजपेयी को भी मकालू बेस कैंप से बचाया गया और काठमांडो लाया गया. वाजपेयी को नेपाल सेना के दल ने पर्वतीय क्षेत्र से बचाया.
बीते 80 वर्षों में देश के अब तक के सबसे भयावह भूकंप के बाद आ रहे झटकों के कारण लोगों के बीच घबराहट का माहौल है. कल आए झटके की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.3 थी. इन झटकों से घबराए अधिकतर लोग खुले स्थानों पर रह रहे हैं और खराब मौसम के साथ-साथ भोजन-पानी की कमी से जूझ रहे हैं.
नेपाल की राजनीतिक पार्टियां इस बात पर सहमत हो गई हैं कि देश में राहत कार्य करने के इच्छुक सभी लोग तत्काल काम शुरु कर सकते हैं. इसके लिए प्रक्रिया को सरकार के मार्ग से होकर गुजरने की जरुरत नहीं है.
मानवीय मामलों पर समन्वय से जुडे संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय ने कहा है कि देश में तबाह हुए मकानों की संख्या 1,60,000 से ज्यादा है. यह संख्या वर्ष 1934 में नेपाल में आए भयावह भूकंप में मारे गए लोगों की संख्या की लगभग दोगुनी है. उस भूकंप को अब तक नेपाल की सबसे भयावह आपदा माना जाता रहा है.
संयुक्त राष्ट्र ने नेपाल से आबकारी नियंत्रण में ढील देने के लिए कहा है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि इससे विभिन्न देशों से आने वाली मदद की आपूर्ति भूकंप में बचे लोगों तक पहुंचाने में समस्या आ रही है.
नेपाल ने शुक्रवार को तिरपालों और तंबुओं पर से आयात कर हटा दिए थे लेकिन गृह मंत्रालय के प्रवक्ता लक्ष्मी प्रसाद ढकाल ने कहा कि विदेशों से आने वाली सभी चीजों की जांच जरुरी है. सहायता एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि देश के सुदूर पहाडी इलाकों में लगभग सबकुछ तबाह हो गया है.