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मौत की सजा सुनाये जाने के वक्त भी मुट्ठियां भींच रहे थे मिस्त्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी

काहिरा :मिस्त्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को 2011 में जेल तोडने व भागने से जुडे एक मामले में मौत की सजा सुनायी गयी है. वहां के कानून के मुताबिक उन्हें सजा देने से पहले न्यायाधीश को धार्मिक नेता से मशविरा करना होगा. मिस्र के अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी, मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रमुख मोहम्मद बादी […]

काहिरा :मिस्त्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी को 2011 में जेल तोडने व भागने से जुडे एक मामले में मौत की सजा सुनायी गयी है. वहां के कानून के मुताबिक उन्हें सजा देने से पहले न्यायाधीश को धार्मिक नेता से मशविरा करना होगा. मिस्र के अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी, मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रमुख मोहम्मद बादी और 100 से अधिक इस्लामियों को वर्ष 2011 के विद्रोह के दौरान हुईं जेल तोडने की घटनाओं के सिलसिले में आज यहां की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई.
मुर्सी और ब्रदरहुड के नेताओं- बादी, मोहम्मद साद एल कतातनी, एसाम एल एरियन, मोहम्मद एल बेलतागी तथा सफावत हेगजी सहित 130 सह प्रतिवादियों पर इस मामले में आरोप लगाया गया था. जब न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाया तो उस समय 63 वर्षीय मुर्सी काहिरा फौजदारी अदालत में पिजडेनुमा कठघरे में पेश हुए. अदालत ने मुर्सी, मुस्लिम ब्रदरहुड के शीर्ष मार्गदर्शक बादी तथा मुस्लिम ब्रदरहुड के 104 नेताओं को मामले में मौत की सजा सुनाई. न्यायाधीश ने जब अपना फैसला पढा तो पूर्व राष्ट्रपति ने इसके विरोध में अपनी मुट्ठियां उठायीं.
इससे पहले लंबे समय तक चले इस मुकदमे में राष्ट्रपति मोर्सी से स्पष्ट कर दिया था कि वे किसी हाल में झुकेंगे नहीं. उन पर 2011 में हिरासत से भाग जाने का मुकदमा चल रहा था.
मोर्सी को पहले ही 20 साल की सजा सुनायी गयी थी. यह सजा उन्हें उनके शासन काल में प्रदर्शनकारियों के विरेाध प्रदर्शन के दौरान उन्हें गिरफ्तार करने और प्रताडित करने के आरोप में दी गयी थी. मोर्सी जब जेल से भागे थे, उनके साथ 100 अन्य लोग भी थे.
हालांकि मोर्सी के समर्थकों की दलील रही है कि उनके खिलाफ यह अभियोग राजनीति से प्रेरित है. उल्लेखनीय है कि मोहम्मद मोर्सी मिस्त्र के पहले लोकतांत्रिक ढंग से चुने गये राष्ट्रपति थे.
मोहम्मद मोर्सी अपनी शैली और अंदाज के लिए जाने जाते रहे हैं. तमाम आरोपों के बावजूद वे झुकने व समझौते को तैयार नहीं हुए. उन्हें अलेक्जेेंड्रिया का जेल से काहिरा अदालत में पेश करने के लिए हेलीकॉप्टर से लाया जाता था. जब उनके खिलाफ अदालती कार्रवाई चला करती थी, तब भी वे तन कर रहते और खुद को देश का राष्ट्रपति बताते थे.
मोर्सी को 2013 में सेना ने सत्ता से बेदखल कर दिया था. उस समय देश भर में मोर्सी सरकार के खिलाफ बडे स्तर पर विरोध प्रदर्शन चल रहा था. मोर्सी पर आरोप है कि वे साल 2011 में 28 जनवरी को तब जेल से दूसरे कैदियों के साथ भागे थे, जब वहां के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के खिलाफ जनांदोलन चल रहा था. इसमें कई पुलिसकर्मी मारे गये थे.

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