सीरिया के रासायनिक शस्त्रगार से जुड़े संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव पर रुस और अमेरिका सहमत
संयुक्त राष्ट्र : सीरिया से जुड़े विवादास्पद मुद्दे को लेकर बीते ढाई वर्षों से जारी गतिरोध को खत्म करने की राह में मिली एक बड़ी कूटनीतिक सफलता में सीरिया के रासायनिक हथियारों को नष्ट करने से जुड़े संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मौसेदा प्रस्ताव पर अमेरिका और रुस के बीच सहमति बन गई है.संयुक्त राष्ट्र […]
संयुक्त राष्ट्र : सीरिया से जुड़े विवादास्पद मुद्दे को लेकर बीते ढाई वर्षों से जारी गतिरोध को खत्म करने की राह में मिली एक बड़ी कूटनीतिक सफलता में सीरिया के रासायनिक हथियारों को नष्ट करने से जुड़े संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मौसेदा प्रस्ताव पर अमेरिका और रुस के बीच सहमति बन गई है.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में अब इस मसौदा प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी, जिसमें सीरिया पर उसके रासायनिक हथियार नष्ट करने की ‘कानूनी बाध्यताएं’ लगाने और युद्ध से तबाह इस देश को ‘इसे न मानने के नतीजे’ भुगतने की चेतावनी दी गई है.
रासायनिक हथियार सौंपने में असफल रहने की सूरत में बशर अल असद सरकार के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को लेकर अमेरिका और रुस के बीच लंबे समय से जारी मतभेद के बाद इन दोनों देशों के बीच इस प्रस्ताव पर सहमति बनी है. अमेरिकी रक्षा मंत्री जॉन केरी ने यहां कहा कि वह(रुसी )विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात करके संतुष्ट हैं और उनके बीच इस प्रस्ताव पर सहमति बन गई है.केरी ने कहा, ‘‘हम एक साथ मिलकर समझौता मसौदे को अंतिम रुप दे रहे हैं. हमारा मानना है कि रासायनिक हथियारों की रोकथाम के लिए संगठन :ओपीसीडब्ल्यू: और संयुक्तराष्ट्र के बीच की प्रक्रिया और इसका प्रस्ताव सीरिया से रासायनिक हथियारों को हटाने और नष्ट करने के अलावा वहां के लोगों को नया जीवन प्रदान करेगा.’’केरी ने उम्मीद जताई कि रासायनिक हथियार हटाने को बाध्यकारी बनाता यह प्रस्ताव सुरक्षा परिषद से पारित हो जाएगा.
सीरिया सरकार पर अपने रासायनिक हथियार कार्यक्रम को समाप्त करने के लिए कानूनी बाध्यताएं लगा कर ‘अंतरराष्ट्रीय आदर्श बनाए रखने’ वाले इस मसौदा प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 15 देशों की परिषद कल देर रात बैठक हुई थी.सुरक्षा परिषद की इस बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजूदत समैंन्था पॉवर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस प्रस्ताव में हथियारों की एक श्रेणी को नष्ट करने का प्रावधान है, जिसका असद सरकार ने अपने लोगों के खिलाफ कई बार बेहद बेरहमी से इस्तेमाल किया. और इस प्रस्ताव में यह साफ किया गया किया गया है कि इसका पालन नहीं करने के भारी नतीजे होंगे.’’पॉवर ने कहा कि यह प्रस्ताव बीते दो वर्षों से जारी ‘गहन कूटनीतिक और समझौता वार्ता का नतीजा है.