भारत, अमेरिका ने लिया आतंकवादी नेटवर्क नष्ट करने का संकल्प
वाशिंगटन : अमेरिका ने भारत के साथ मिलकर जम्मू में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की है और दोनों देशों ने अलकायदा और लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकवादी नेटवर्कों को समाप्त करने के लिए मिलकर प्रयास करने का संकल्प लिया है. भारत और अमेरिका ने पाकिस्तान से वर्ष 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमले के […]
वाशिंगटन : अमेरिका ने भारत के साथ मिलकर जम्मू में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की है और दोनों देशों ने अलकायदा और लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकवादी नेटवर्कों को समाप्त करने के लिए मिलकर प्रयास करने का संकल्प लिया है.
भारत और अमेरिका ने पाकिस्तान से वर्ष 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में खड़ा करने के लिए भी कहा. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओवल ऑफिस में मुलाकात के बाद भारत और अमेरिका ने संयुक्त बयान जारी करके कहा कि दोनों नेताओं ने सभी प्रकार के आतंकवाद की एक बार फिर निंदा की तथा अलकायदा एवं लश्कर-ए-तैयबा सहित आतंकवादी नेटवर्कों को खत्म करने और आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाहों को मिटाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया.
संयुक्त बयान में कहा गया कि ओबामा और सिंह ने जम्मू-कश्मीर के साम्बा में 26 सितंबर को हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की. इससे संकेत मिलता है कि व्हाइट हाउस में दोनों नेताओं के बीच एक घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर मुख्य रुप से चर्चा हुई. जम्मू में गत गुरवार को हुए दो आतंकवादी हमलों में एक लेफ्टिनेंट कर्नल समेत 10 लोग मारे गए थे.
संयुक्त बयान में कहा गया, दोनों नेताओं ने पाकिस्तान से नवंबर 2008 में मुंबई में हुए हमलों की साजिश करने वालों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने को कहा. मुंबई में 2008 में हुए हमलों में छह अमेरिकियों समेत 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग घायल हुए थे.
भारतीय अधिकारियों ने बैठक से पहले संवाददाताओं से कहा था कि वार्ता के दौरान लश्कर-ए-तैयबा और उसके संस्थापक हाफिज सईद का मुद्दा मुख्य रुप से उठाया जाएगा. संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने आतंकवाद निरोधक, साइबर, अंतरिक्ष और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्रों में 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए अमेरिका और भारत के बीच सुरक्षा सहयोग बढाने की बात कही.
आतंकवाद के खतरे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए ओबामा और सिंह ने आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करने में संयुक्त और ठोस प्रयास करने की जरुरत पर जोर दिया. दोनों नेताओं ने खतरों का सामना करने के लिए सूचना का आदान प्रदान और खुफिया सहयोग बढाने का निर्णय लिया. दोनों देशों के नेताओं ने आतंकवादियों के संबंध में जानकारी के आदान प्रदान के लिए द्विपक्षीय संबंध और मजबूत करने का भी फैसला किया. बैठक के बाद ओबामा ने सिंह के लिए दोपहर के भोज की मेजबानी की.
* रक्षा परियोजनाओं की पहचान करने पर सहमत
भारत और अमेरिका अपने बीच रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने के प्रयास के तहत अगले एक साल में आधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों की सहयोगात्मक परियोजनाओं की पहचान करने के लिए सहमत हो गए हैं.
द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की तारीफ और रक्षा संबंधों में हुई प्रगति पर संतुष्टि जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कल एक संयुक्त बयान में दोनों पक्षों की ओर से और ज्यादा रक्षा सहयोग की जरुरत पर जोर दिया.दोनों नेताओं ने व्हाइट हाउस में अपनी बैठक के बाद शुक्रवार को रक्षा सहयोग के मुद्दे पर एक संयुक्त घोषणा की, जो कि उनमें परस्पर रक्षा तकनीक हस्तांतरण, शोध, सह-विकास और सह-निर्माण के लिए उनके संबंधों को आगे बढ़ाने का माध्यम है.
रक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा में कहा गया, दोनों पक्ष अगले साल के दौरान आधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों की सहयोगात्मक परियोजनाओं के लिए विशेष अवसरों की पहचान करने की ओर अग्रसर हैं. साझा घोषणा में कहा गया कि दोनों देशों के साझा सुरक्षा हित हैं और दोनों एक दूसरे को अपने करीबी सहयोगियों के रुप में देखते हैं.
इस घोषणा में कहा गया है कि सबसे आधुनिक और परिष्कृत प्रौद्योगिकी समेत रक्षा तकनीक हस्तांतरण, व्यापार , शोध, सह-विकास और रक्षा सामग्री के सह उत्पादन तथा सेवा के क्षेत्र में भी यही सिद्धांत लागू होगा.घोषणा के मुताबिक, दोनों देश लाइसेंस प्रक्रिया को सुधारने और जहां जरुरी हो, वहां इस सहयोग को सुगम बनाने के लिए शीघ्र लाइसेंस मंजूरी की प्रक्रिया को अपनाने का काम करेंगे. अमेरिका और भारत एक दूसरे की संवेदनशील प्रौद्योगिकी और सूचनाओं की सुरक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं. अमेरिका ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत की पूर्ण सदस्यता को पूरा समर्थन जारी रखता है. इससे तकनीक के आदान-प्रदान में मदद मिलेगी.
इसमें आगे कहा गया है, दोनों पक्ष अपने-अपने खरीद-व्यवस्थाओं और सहमति प्रक्रियाओं, रक्षा-व्यापार से जुड़ी समस्याओं से निपटने, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सहयोग के क्षेत्र में आपसी तालमेल एवं समझबूझ को मजबूत करने के प्रयासों को जारी रखेंगे.
ओबामा ने वर्ष 2014 में यूएस पैसेफिक कमान द्वारा आयोजित किए जाने वाले प्रशांत में नौसैन्य अभ्यासों (रिम ऑफ द पेसिफिक..आरआईएमपीएसी) में शामिल होने के भारत के फैसले का स्वागत किया.घोषणापत्र के अनुसार, दोनों देशों ने परमाणु अप्रसार सहयोग को जारी रखने के उद्देश्य से अमेरिका और भारत के नजदीकी सहयोग की समीक्षा की ताकि बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में शामिल होने की नई दिल्ली की इच्छाओं को समझा जा सके. ओबामा ने इन समूहों में भारत को जल्दी ही सदस्यता दिलाने का समर्थन दोहराया.
वैश्विक परमाणु सुरक्षा को मजबूती देने के लिए वर्ष 2014 में हेग में होने वाले परमाणु सुरक्षा सम्मेलन के लिए तैयार दोनों देश, वर्ष 2010 में भारत के परमाणु उर्जा साझेदारी वैश्विक केंद्र के साथ हस्ताक्षरित सहमति पत्र के जरिए आपसी सहयोग बढ़ाने की कोशिश करेंगे.
दोनों नेताओं ने 21 वीं सदी में आतंकवाद की रोकथाम, साइबर क्षेत्र और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों के समाधान के लिए भारत तथा अमेरिका के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का आह्वान भी किया.