सूडान के सबसे बड़े अखबार पर प्रशासन ने लगाई रोक

खारतूम : तानाशाह राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ सप्ताह भर से विरोध प्रदर्शन करने वालों को देशद्रोही करार देने के लिए विभिन्न अखबारों पर डाले जा रहे दबाव के बीच सूडानी प्रशासन ने देश के सबसे बड़े दैनिक अखबार को छपाई रोकने के लिए बाध्य कर दिया. 24 साल पहले अल-बशीर के सत्ता पर आसीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2013 12:14 PM

खारतूम : तानाशाह राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ सप्ताह भर से विरोध प्रदर्शन करने वालों को देशद्रोही करार देने के लिए विभिन्न अखबारों पर डाले जा रहे दबाव के बीच सूडानी प्रशासन ने देश के सबसे बड़े दैनिक अखबार को छपाई रोकने के लिए बाध्य कर दिया.

24 साल पहले अल-बशीर के सत्ता पर आसीन होने के बाद सूडान में बड़े स्तर पर सड़कों पर प्रदर्शन हो रहे हैं जिसके चलते प्रेस की स्वतंत्रता को यह झटका लगा है. अल बशीर के खिलाफ प्रदर्शन तब शुरु हुए जब सरकार ने खाद्य और ईंधन सब्सिडी खत्म कर दी. सरकार के इस कदम से सूडान में गुस्सा भड़क गया. यहां लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करती है.

विफल आर्थिक और राजनीतिक नीतियों की वजह से जनता में असंतोष बढ़ रहा है. इन्हीं नीतियों के चलते दक्षिणी सूडान वर्ष 2011 में अलग होकर एक स्वतंत्र देश बन गया और तेल उत्पादन का मुख्य क्षेत्र अपने साथ ले गया. आलोचक अल-बशीर पर यह आरोप भी लगाते हैं कि उन्होंने प्रतिद्वंद्वी देशों के बगावत संबंधी आंदोलनों में आर्थिक सहायता देकर देश का खजाना खाली कर दिए हैं.

अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूहों के अनुसार, हजारों प्रदर्शनकारियों पर की गई हिंसक कार्रवाई में कम से कम 50 प्रदर्शनकारी मारे गए. डॉक्टर और कार्यकर्ता इस संख्या को और ज्यादा बताते हैं. असोसिएटेड प्रेस को बताई गई संख्या के अनुसार यह आंकड़ा 100 से भी ज्यादा है.

सरकार ने पुलिसकर्मियों समेत कुल 33 लोगों के मारे जाने की बात स्वीकारी है. इस क्रूर कार्रवाई के बाद सरकार ने जनता को शांत करने के लिए रविवार को महंगाई से निपटने के लिए नकद मुआवजा देने और न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने की बात कही.

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