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मोदी ने उज्बेक राष्ट्रपति से आतंकवाद, अफगानिस्तान मुद्दों पर चर्चा की

ताशकंद: मध्य एशिया की पहली यात्रा पर उजबेकिस्तान पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां उज्बेक राष्ट्रपति इस्लाम करीमोव से द्विपक्षीय और अफगानिस्तान सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग के तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये. मध्य एशिया और रुस की आठ दिवसीय यात्रा के पहले चरण […]

ताशकंद: मध्य एशिया की पहली यात्रा पर उजबेकिस्तान पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां उज्बेक राष्ट्रपति इस्लाम करीमोव से द्विपक्षीय और अफगानिस्तान सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग के तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये.

मध्य एशिया और रुस की आठ दिवसीय यात्रा के पहले चरण में उजबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद पहुंचने पर मोदी का उनके उज्बेक समकक्ष शवकत मिरोमोनोविच मिर्जियोयेव ने हवाई अड्डे पर पारंपरिक स्वागत किया.मोदी और करीमोव के बीच हुई बातचीत के दौरान सामरिक, आर्थिक और उर्जा क्षेत्रों में संबंधों को बेहतर बनाने के अलावा अफगानिस्तान की स्थिति सहित कई क्षेत्रीय मुद्दों की समीक्षा की गई. दोनों देशों ने विदेश कार्यालय, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग को बढावा देने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘ मैंने उजबेकिस्तान से अपनी यात्रा शुरु की है जो भारत के लिए इस देश के महत्व को दर्शाता है, न केवल इस क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे एशिया के लिए. राष्ट्रपति करीमोव और मैंने भारत और उजबेकिस्तान के बीच कनेक्टिविटी को और बढाने की विभिन्न पहलों पर चर्चा की.
मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति सहित अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई और इस देश में शांति एवं स्थिरता के महत्व को दोहराया. इस संदर्भ में मोदी ने कहा कि दोनों नेताओं ने दोनों देशों के ‘‘विस्तारित पडोस’ में बढते उग्रवाद और आतंकवाद के खतरों के बारे में भी चर्चा की.प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्लेख किया कि हाल के वर्षो में भारत और उजबेकिस्तान ने आपसी सम्मान और साझा हितों के आधार पर सामरिक साझेदारी बनायी है. मोदी ने कहा कि उन्होंने दोनों देशों के बीच नियमित उच्च स्तरीय बैठकें करने को लेकर अपनी गहरी रुचि व्यक्त की.
मोदी ने कहा, ‘‘ मैंने राष्ट्रपति को अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कोरिडोर के बारे में बताया और उजबेकिस्तान के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि वह इसका सदस्य बने. ’’उन्होंने दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी निर्मित होने का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ इसमें आर्थिक सहयोग, आतंकवाद के विरुद्ध लडाई, क्षेत्र में स्थिरता को बढावा देना और क्षेत्रीय एकात्मता को प्रोत्साहित करना शामिल है.’’ दोनों नेता रक्षा और साइबर सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढाने पर सहमत हुए. इस संदर्भ में इस वर्ष बाद में आतंकवाद निरोधी संयुक्त कार्यकारी समूह की बैठक होगी.दोनों नेताओं ने खनिज संसाधन से सम्पन्न उजबेकिस्तान से यूरेनियम आपूर्ति के बारे में पिछले वर्ष हुए अनुबंध को लागू करने के तौर तरीकों पर भी चर्चा की. दोनों देशों के बीच 2000 मिट्रिक टन येलो केक (यूरेनियम) की आपूर्ति करने संबंधी समझौता हुआ था.
दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को बढाने के बारे में चर्चा करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘ मैंने उन्हें बताया कि उजबेकिस्तान में निवेश करने को लेकर भारतीय कारोबारियों में गहरी रुचि है. उजबेकिस्तान के विविध क्षेत्रों में काफी क्षमताएं हैं.’’प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैंने उनसे (करीमोव से) आग्रह किया कि भारतीय निवेश को आसान बनाने के लिए प्रक्रियाएं और नीतियां बनाएं. राष्ट्रपति ने मेरे सुझाव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.’’ मोदी ने बताया कि राष्ट्रपति करीमोव कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी और उर्जा के क्षेत्रों में जारी सहयोग को और गहरा करने के भी समर्थक हैं.
मोदी ने उज्बेक राष्ट्रपति से अश्काबात समझौते में भारत को शामिल किये जाने के लिए समर्थन मांगा. उजबेकिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और ओमान के बीच यह ट्रांजिट समझौता 2011 में हुआ था.उन्होंने कहा कि संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में आज हुए समझौतों से दोनों देशों की जनता करीब आयेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘ हिन्दी और भारतीय संस्कृति को बढावा देने में उजबेकिस्तान का मुकाबला कुछ ही देश कर सकेंगे. कल मैं भारतीयविदों और हिन्दी भाषाविदों के समूह से मिलने की प्रतीक्षा कर रहा हूं.’’इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उज्बेक राष्ट्रपति करीमोव को भारत के 13वीं सदी के महान सूफी कवि अमीर खुसरो की कृति खमसा ए खुसरो की प्रतिकृति तोहफे में दी. उत्तरप्रदेश मे जन्मे खुसरो के पिता उजबेकिस्तान के थे.
मोदी ने कहा कि भारत में प्रशिक्षण की पेशकश बढाकर क्षमता विकास के क्षेत्र में सहयोग का विस्तार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अपनी प्रतिबद्धता के अनुरुप उजबेकिस्तान-भारत सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र का इस साल उन्नयन किया गया है. उन्होंने ताशकंद में बन रहे उद्यमिता विकास केंद्र के कार्य के तेजी से पूर्ण किये जाने को लेकर राष्ट्रपति करीमोव के आश्वासन का स्वागत किया.
मोदी ने कहा कि कल वह ‘मान्यूमेंट आफ इन्डिपेन्डेंस एंड ह्यूमेनिज्म’ तथा दिवंगत भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के स्मारक जाएंगे. ‘‘हमारे पूर्व प्रधानमंत्री की विरासत के संरक्षण के लिए हम ताशकंद और उज्बेकिस्तान की जनता का धन्यवाद करते हैं.’’उन्होंने कहा कि यह काफी सार्थक यात्रा रही. इस यात्रा के जरिए आने वाले वषो’ में अच्छी फसल के बीज बोये गये हैं.
रुस सहित छह देशों की यात्रा के पहले चरण में मोदी यहां पहुंचे हैं. वह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और शांगहाए सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भी शामिल होंगे.
उजबेकिस्तान से मोदी कल कजाखस्तान के लिए रवाना होंगे. वह आठ जुलाई को रुस जाएंगे. दस जुलाई को उन्हें तुर्कमेनिस्तान जाना है. वह 11 जुलाई को किर्गिस्तान तथा 12 जुलाई को ताजिकिस्तान में होंगे. एससीओ शिखर सम्मेलन रुस के उफा में हो रहा है. एससीओ छह देशों यानी चीन, रुस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, उजबेकिस्तान और ताजिकिस्तान का समूह है, जिसमें भारत को बतौर सदस्य शामिल किया जा सकता है.
आतंकवाद, आफगानिस्तान पर चर्चा
उजबेकिस्तान ने परमाणु उर्जा, रक्षा और व्यापार समेत महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढाने का निर्णय किया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उजबेक राष्ट्रपति इस्लाम करीमोव के बीच चर्चा के दौरान दोनों देशों ने ‘विस्तारित पडोस’ में बढते आतंकवाद पर साझा चिंता व्यक्त की.मध्य एशिया एवं रुस की आठ दिवसीय यात्रा के पहले चरण में उजबेकिस्तान पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां राष्ट्रपति इस्लाम करीमोव से द्विपक्षीय और अफगानिस्तान सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की.
बातचीत के बाद दोनो देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग के तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये जिनमें विदेश कार्यालय, संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग को बढावा देने के लिए समझौता शामिल है. ताशकंद पहुंचने पर मोदी का उनके उज्बेक समकक्ष शवकत मिरोमोनोविच मिर्जियोयेव ने हवाई अड्डे पर पारंपरिक स्वागत किया.
मोदी और करीमोव के बीच हुई बातचीत के दौरान सामरिक, आर्थिक और उर्जा क्षेत्रों में संबंधों को बेहतर बनाने के अलावा अफगानिस्तान की स्थिति सहित कई क्षेत्रीय मुद्दों की समीक्षा की गई.संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘ मैंने उजबेकिस्तान से अपनी यात्रा शुरु की है जो भारत के लिए इस देश के महत्व को दर्शाता है, न केवल इस क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे एशिया के लिए. राष्ट्रपति करीमोव और मैंने भारत और उजबेकिस्तान के बीच कनेक्टिविटी को और बढाने की विभिन्न पहलों पर चर्चा की.
मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति सहित अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई और इस देश में शांति एवं स्थिरता के महत्व को दोहराया. इस संदर्भ में मोदी ने कहा, ‘‘ हमने दोनों देशों के ‘‘विस्तारित पडोस’ में बढते उग्रवाद और आतंकवाद के खतरों के बारे में चिंताओं को साझा किया.’’
दोनों नेता रक्षा और साइबर सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढाने पर सहमत हुए. मोदी ने कहा, ‘‘ हमने सुरक्षा सहयोग और आदान प्रदान बढाने पर सहमति व्यक्त की. इस संदर्भ में इस वर्ष बाद में आतंकवाद निरोधी संयुक्त कार्यकारी समूह की बैठक होगी. हमने रक्षा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत बनाने पर भी सहमति व्यक्त की.’’ उन्होंने कहा कि उनकी राष्ट्रपति करीमोव के साथ बातचीरत काफी फलदायक रही और यह संबंधों को और गहरा बनाने की दिशा में था.
उन्होंने दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी निर्मित होने का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ इसमें आर्थिक सहयोग, आतंकवाद के विरुद्ध लडाई, क्षेत्र में स्थिरता को बढावा देना और क्षेत्रीय एकात्मकता को प्रोत्साहित करना शामिल है.’’ दोनों नेताओं ने खनिज संसाधन से सम्पन्न उजबेकिस्तान से यूरेनियम आपूर्ति के बारे में पिछले वर्ष हुए अनुबंध को लागू करने के तौर तरीकों पर भी चर्चा की. दोनों देशों के बीच 2000 मिट्रिक टन येलो केक (यूरेनियम) की आपूर्ति करने संबंधी समझौता हुआ था.दोनों नेताओं ने कनेक्टिविटी को और आगे बढाने के बारे में विभिन्न पहलों पर चर्चा की. मोदी ने उजबेक राष्ट्रपति को अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कोरिडोर के बारे में बताया और उजबेकिस्तान के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि वह इसका सदस्य बने.
मोदी ने उजबेक राष्ट्रपति से अश्काबात समझौते में भारत को शामिल किये जाने के लिए समर्थन मांगा. उजबेकिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और ओमान के बीच यह ट्रांजिट समझौता 2011 में हुआ था. वहीं उत्तर दक्षिण परिवहन कोरिडोर भारत, रुस, ईरान और मध्य एशिया के बीच जहाज, रेल और सड़क मार्ग से माल की आवाजाही से जुडा है.
दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को बढाने के बारे में चर्चा करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘ मैंने उन्हें बताया कि उजबेकिस्तान में निवेश करने को लेकर भारतीय कारोबारियों में गहरी रुचि है. उजबेकिस्तान के विविध क्षेत्रों में काफी क्षमताएं हैं.’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैंने उनसे (करीमोव से) आग्रह किया कि भारतीय निवेश को आसान बनाने के लिए प्रक्रियाएं और नीतियां बनाएं. राष्ट्रपति ने मेरे सुझाव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.’’ मोदी ने बताया कि राष्ट्रपति करीमोव कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी और उर्जा के क्षेत्रों में जारी सहयोग को और गहरा करने के भी समर्थक हैं. उन्होंने कहा कि संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में आज हुए समझौतों से दोनों देशों की जनता करीब आयेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘ हिन्दी और भारतीय संस्कृति को बढावा देने में उजबेकिस्तान का मुकाबला कुछ ही देश कर सकेंगे. कल मैं भारतीयविदों और हिन्दी भाषाविदों के समूह से मिलने को लेकर उत्सुक हूं.’’इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उजबेक राष्ट्रपति करीमोव को भारत के 13वीं सदी के महान सूफी कवि अमीर खुसरो की कृति खमसा ए खुसरो की प्रतिकृति तोहफे में दी. उत्तरप्रदेश मे जन्मे खुसरो के पिता उजबेकिस्तान के थे.
मोदी ने कहा, ‘‘ कल मैं स्वतंत्रता एवं मानवता के स्मारक और दिवंगत भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के स्मारक पर जाउंगा. हम ताशकंद और उजबेकिस्तान के लोगों के आभारी है कि उन्होंने हमारे पूर्व प्रधानमंत्री की विरासत का संरक्षण किया.’’
मोदी ने कहा, ‘‘ यह काफी सार्थक यात्रा रही. इस यात्रा के जरिए आने वाले वषो’ में अच्छी फसल के बीज बोये गये हैं.’’ बाद में जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति करीमोव और प्रधानमंत्री मोदी ने भारत.उजबेकिस्तान सामरिक संबंधों, विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढाने के साथ आपसी हितों से जुडे अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों समेत व्यापक विषयों पर चर्चा की.
दोनों पक्षों ने राजनीतिक संबंधों, सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ लडाई, व्यापार एवं निवेश, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ सांस्कृतिक संबंधों समेत दीर्घावधि द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने एवं इसका विस्तार करने की बात दोहरायी.
राष्ट्रपति करीमोव ने कहा कि भारत के साथ मजबूत संबंध उजबेकिस्तान की विदेश नीति की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है. वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने जोर दिया कि भारत और उजबेकिस्तान के बीच मजबूत सामरिक संबंध मध्य एशिया के साथ भारत के जुडाव का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है.
संयुक्त बयान के अनुसार, ‘‘ दोनों पक्षों ने एक दूसरे के नेतृत्व एवं अन्य स्तर पर आधिकारिक यात्रा ओं के जरिये नियमित द्विपक्षीय विचार विमर्श एवं राजनीतिक वार्ता को आगे बढाने एवं क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर आपसी द्विपक्षीय समझ को प्रोत्साहित करने पर सहमति जताई.
दोनों नेताओं ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा के समक्ष खतरों एवं चुनौतियों का समय पर और पर्याप्त ढंग से सामना करने के महत्व को रेखांकित किया और इस बारे में आतंकवाद निरोध पर उजबेकिस्तान भारत संयुक्त कार्यकारी समूह के ढांचे के तहत कानून अनुपालन एजेंसियों और विशेष सेवाओं के बीच समन्वय को मजबूत बनाने का इरादा व्यक्त किया.
दोनों पक्षों ने रक्षा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढाने पर भी सहमति व्यक्त की. दोनों देशों ने निवेश सहयोग और बढाने का भी आह्वान किया. इन्होंने भारतीय कंपनियों द्वारा उजबेकिस्तान में निवेश के लिए उपयुक्त माहौल बनाने की भी बात कही जिसमें विशेष आर्र्थिक क्षेत्र ‘नावोई’, अंग्रेन और जिज्जाख शामिल हैं.
दोनों पक्षों ने फार्मा, हल्का उद्योग, आईटी और संचार जैसे क्षेत्रों में संयुक्त निवेश परियोजनाओं की संभावनाओं का भी जिक्र किया.शिष्टमंडल स्तर की वार्ता के दौरान दोनों देशों ने सडक सम्पर्क बढाने के विभिन्न विकल्पों पर भी चर्चा की. दोनों पक्षों ने पर्यटन को द्विपक्षीय सहयोग का महत्वपूर्ण क्षेत्र बताया. दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान की स्थिति पर भी चर्चा की और पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए इस देश के महत्व को रेखांकित किया. रुस सहित छह देशों की यात्रा के पहले चरण में मोदी यहां पहुंचे हैं. वह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और शंघाए सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भी शामिल होंगे.
उजबेकिस्तान से मोदी कल कजाखस्तान के लिए रवाना होंगे. वह आठ जुलाई को रुस जाएंगे. दस जुलाई को उन्हें तुर्कमेनिस्तान जाना है. वह 11 जुलाई को किर्गिस्तान तथा 12 जुलाई को ताजिकिस्तान में होंगे.एससीओ शिखर सम्मेलन रुस के उफा में हो रहा है. एससीओ छह देशों यानी चीन, रुस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, उजबेकिस्तान और ताजिकिस्तान का समूह है, जिसमें भारत को बतौर सदस्य शामिल किया जा सकता है.
भारत और उजबेकिस्तान ने दोहराया कि संयुक्त राष्ट्र को वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखने, सामान्य विकास में सहायता करने और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग बढाने में केंद्रीय भूमिका निभानी चाहिए.
दोनो देशों ने संयुक्त राष्ट्र ढांचे में व्यापक सुधारों का आह्वान करते हुए सुरक्षा परिषद में दोनो तरह की सदस्यता का विस्तार करने की जरुरत बताई. उजबेकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी के प्रति अपना समर्थन दोहराया. मोदी ने करिमोव को अपनी सहूलियत की किन्ही तारीखों पर भारत का दौरा करने का न्यौता दिया. उन्होंने कहा कि यात्रा की तारीख राजनयिक माध्यमों से तय की जा सकती है.
बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सम्मान में उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति की ओर से आयोजित भोज में कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग से अतिवाद और आतंकवाद का मुकाबला किया जा सकता है जो कि क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक खतरा है. मोदी ने कहा कि भारत और मध्य एशिया के बीच नजदीकी संबंधों से समृद्धि को बढावा मिलेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘तेजी से आर्थिक विकास कर रहे 1.25 अरब लोगों के देश और मध्य ऐशिया के बीच नजदीकी संबंधों से हमारें देशों में समृद्धि को बढावा मिलेगा, एशिया का पुनरुत्थान होगा और यूरेशिया फिर से जुडेगा. हम मध्य एशिया से और नजदीकी तौर पर जुडने के लिए आपकी साङोदारी चाहते हैं.’’उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उज्बेकिस्तान के समर्थन को काफी महत्व देता है. उन्होंने कहा, ‘‘भारत और उज्बेकिस्तान के लिए यह समय निर्भीकता से आगे बढने और मौकों को हासिल करने का है.’’मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की स्मृति में एक स्थायी स्मारक का निर्माण करने के उज्बेकिस्तान नेतृत्व को धन्यवाद दिया. शास्त्री का 1966 में यहां निधन हो गया था.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी यात्रा क्षेत्र में उज्बेकिस्तानी नेतृत्व की बात करती है. परमश्रेष्ठ, स्वतंत्रता की सुबह एक देश के लिए सबसे बडी चुनौती का क्षण है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपने अपने देश का स्वतंत्रता दिलाने में नेतृत्व किया. आपने एक आधुनिक, समावेशी और स्थिर देश का निर्माण किया है जो अब एशिया और उसके बाहर तेजी से बडी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. आप महान दृष्टि के साथ अपने क्षेत्र की प्रगति के लिए प्रयासरत हैं.’’
मोदी ने उज्बेकिस्तान की स्वतंत्रता के कुछ महीनों बाद ही होने वाली उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति की भारत यात्रा को याद करते हुए कहा, ‘‘यह हमें यह बताता है कि दिलों का बंधन इतिहास और राजनीति के अवरोधों से कमजोर नहीं होता. भारत की आपकी पांच यात्रा एं हमारी साझेदारी के प्रति आपकी प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करती है.’’उन्होंने कहा कि भारत और मध्य एशिया के बीच ‘‘सदाबहार सम्पर्क’’ उज्बेकिस्तान के क्षेत्र में बना था. ‘‘इसका भारतीयों के दिल में विशेष स्थान है.’’उन्होंने कहा, ‘‘उज्बेकिस्तान में हिंदी में रेडियो प्रसारण ने 50 वर्ष पूरे कर लिये हैं और रामायण और महाभारत जैसे भारतीय ग्रंथों का एक से अधिक बार प्रसारण किया गया है.’’उन्होंने कहा कि भारत की आध्यात्मिक विरासत ने इस क्षेत्र के शुरुआती जीवन को प्रभावित किया.
मोदी ने कहा, ‘‘इसके बदले हम अपने शहरों और दैनिक जीवन के भक्ति और उत्सवों, कला एवं स्थापत्य कला, हमारे संगीत एवं भोजन, वस्त्र एवं हस्तकला में आपकी छाप देखते हैं.’’ उन्होंने कहा कि मध्य एशिया की गरिमा, उसकी संस्कृति की भव्यता, उसके विज्ञान की उपलब्धि, उसके कला की सुंदरता और उसकी वास्तुकला की भव्यता उज्बेकिस्तान के महान शहरों के चारों ओर बुने गए हैं. मोदी के लिए भोज में विशेष शाकाहारी भोजन परोसा गया था

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