इस्लामाबाद : हाल ही में मारा गया तालिबान प्रमुख मुल्ला उमर का बेटा क्वेटा में मारा गया है और उसकी मौत के पीछे विपक्षी धडों और पाकिस्तान का हाथ है. अफगानिस्तान के एक शीर्ष सांसद ने यह दावा किया है. अफगानिस्तान के टोलो टेलीविजन ने वोलेसी जिरगा (संसद के निचले सदन) के प्रथम डिप्टी स्पीकर जहीर कादिर के हवाले से कहा कि चार दिन पहले (बृहस्पतिवार) क्वेटा में एक बैठक के दौरान मुल्ला याकूब की हत्या कर दी गयी. याकबू को अपने पिता की जगह तालिबान का प्रमुख बनने की उम्मीद थी.
कादिर ने बताया , हमें मुल्ला उमर की मौत के बारे में दो साल पहले सूचना मिली थी और उनका बेटा 21 या 22 साल की उम्र का मुल्ला याकूब उनकी जगह लेने की कोशिश कर रहा था. लेकिन मुल्ला (अख्तर) मंसूर भी तालिबान प्रमुख बनने के प्रयास में था. बताया गया है कि कुछ दिन पहले वह (याकूब) मारा गया है.
उन्होंने कहा , विपक्षी तालिबान और पाकिस्तान का याकूब की मौत में हाथ है. जल्द वास्तविकता सामने आ जायेगी. अफगान तालिबान ने हालांकि कादिर के दावे का खंडन किया है कि मुल्ला उमर का बेटा पाकिस्तान में एक हमले में मारा गया है. एक वरिष्ठ तालिबान नेता ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया, इस दावे में सच्चाई नहीं है. याकूब जिंदा है और मैं उनके सम्पर्क में हूं.
दूसरे तालिबान नेता डा. अमीनुल हक को यह कहते हुए बताया गया कि उसने दो दिन पहले याकूब से सम्पर्क किया था और अफगान अधिकारी समूह के भीतर गलतफहमी पैदा करने के लिये आधारहीन बयान दे रहे हैं. दोनों तरह के दावे इन खबरों के बीच आये हैं कि तालिबान प्रमुख के लिये मुल्ला अख्तर मंसूर के नामांकन से तालिबान में दरार पैदा हो गयी है. मुल्ला अब्दुल का परिवार इसके खिलाफ है और याकूब ने इस नियुक्ति को चुनौती दी है. मुल्ला मंसूर के नामांकन का विरोध कर रहे वरिष्ठ तालिबान नेताओं ने एक समानांतर काउंसिल बनायी है और खुद को इस्लामिक अमीरेट आफ अफगानिस्तान घोषित कर दिया है.