भारत के खिलाफ यूएन पहुंचा नेपाल, नाकेबंदी का आरोप
काठमांडू : नेपाल ने भारत की सीमा से लगे एक प्रमुख व्यापार स्थल को कथित तौर पर बाधित किये जाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र का रूख किया है तथा उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है किनेपाल में आने वाली जरूरी साम्रागियों पर रोक न लगाया जाये. नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे उप-प्रधानमंत्री प्रकाश […]
काठमांडू : नेपाल ने भारत की सीमा से लगे एक प्रमुख व्यापार स्थल को कथित तौर पर बाधित किये जाने को लेकर संयुक्त राष्ट्र का रूख किया है तथा उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है किनेपाल में आने वाली जरूरी साम्रागियों पर रोक न लगाया जाये.
नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे उप-प्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून से मुलाकात की. इस दौरान सीमा पर ‘भारत की नाकेबंदी’ के मुद्दे पर भी चर्चा की गयी. सूत्रों ने कहा कि बान ने जरुरी सामान की आपूर्ति बाधित किए जाने और इससे होने वाली दिक्कतों को लेकर चिंता जताई.
संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए सिंह ने कल विश्व समुदाय से अपील की थी कि वियना कार्यक्रम (2014-2024) के प्रभावी कार्यान्वयन के जरिए नेपाल जैसे समुद्री सीमा से रहित विकासशील देशों के लिए समुद्र तक प्रभावी और निर्बाध पहुंच सुनिश्चित की जाए.सिंह ने कहा, ‘‘समुद्री सीमा से रहित देशों की पारगमन की स्वतंत्रता का सभी देशों द्वारा संपूर्ण रुप से और बिना शर्त पालन किया जाना चाहिए.
प्रकाश मान सिंह का बयान नेपाल के इस दावे की पृष्ठभूमि में आया है कि नये संविधान का विरोध कर रहे लोगों द्वारा भारत की सीमा से लगे एक प्रमुख व्यापार स्थल की ‘अघोषित नाकाबंदी’ किए जाने के कारण उसे ईंधन और रसोई गैस जैसी जरुरी वस्तुओं की भारी किल्लत का सामना करना पड रहा है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने नए संविधान को स्वीकार किए जाने को लेकर नेपाल सरकार और लोगों की सराहना की. बान ने आंदोलनकारी समूहों के साथ बातचीत के लिए माहौल तैयार करने के मंत्री परिषद के निर्णय का स्वागत किया.गौरतलब है कि नेपाल में नये संविधान को लेकर गतिरोध जारी है . विरोध कर रहे मधेशी समुदाय को वहां के शिक्षक संघ ने भी समर्थन दिया है.