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सीमापार से राज्य प्रायोजित आतंकवाद चिंता की खास वजह : UN में भारत

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए सीमा पार से राज्य प्रायोजित आतंकवाद को चिंता की खास वजह बताया और विश्व समुदाय से आतंकवादी गतिविधियों को सहायता और शह देने वालों तथा आतंकियों को पनाह देने वालों के प्रति कतई बर्दाश्त न करने की नीति का अनुसरण करने का आह्वान किया. […]

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए सीमा पार से राज्य प्रायोजित आतंकवाद को चिंता की खास वजह बताया और विश्व समुदाय से आतंकवादी गतिविधियों को सहायता और शह देने वालों तथा आतंकियों को पनाह देने वालों के प्रति कतई बर्दाश्त न करने की नीति का अनुसरण करने का आह्वान किया. संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन के प्रथम सचिव मयंक जोशी ने तीसरी कमेटी में ‘क्राइम प्रेवेंशन एंड इंटरनेशनल ड्रग कंट्रोल’ पर एक सत्र में कहा, ‘आतंकवाद हमारे समय की सबसे गंभीर समस्या के रूप में उभरा है और इसने अन्तरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और संपन्नता को खतरे में डाल दिया है.’

उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि सीमा पार से राज्य प्रायोजित आतंकवाद भारत के लिए खास तौर से चिंता का सबब है. जोशी ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद और इसे सहायता एवं शह तथा इसे अंजाम देने वालों को पनाह देने वालों के प्रति कतई बर्दाश्त न करने की नीति का अनुसरण करना चाहिए. वस्तुत: पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए जोशी ने कहा, ‘एक देश जो मासूम लोगों के खिलाफ आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वालों को पनाह देता है सभी देशों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है.’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को तेजी से बढते आधुनिक और वैश्विक आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए जरुरी इच्छाशक्ति दिखानी चाहिए और इसपर अंकुश लगाने का मजबूत ढांचा तैयार करने के लिए व्यापक संधि करनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘सायबर क्राइम के बढते खतरे में परंपरागत लडाइयों से कहीं ज्यादा घातक होने की ताकत है और इससे निपटने के लिए राष्ट्रीय क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और वैश्विक सहयोग की दरकार है.’

जोशी ने कहा कि आतंकवादियों द्वारा आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से वैश्विक प्रतिक्रिया के साथ निपटना होगा. उन्होंने कहा कि भारत मजबूत एवं कारगर अपराध निवारण और आपराधिक न्याय संस्थानों का हामी है ताकि सतत विकास के जरिए एजेंडा 2030 का सफल कार्यान्वयन हो तथा देशों की शांति, संपन्नता और प्रगति सुनिश्चित हो सके.

जोशी ने कहा कि मादक पदार्थों से जुडे समझौतों को कमजोर करने का नहीं बल्कि उन्हें समान और साझा जिम्मेदारी के आधार पर मादक पदार्थों की समस्या से निपटने के लिए मजबूती से लागू करने का वक्त है. उन्होंने बताया कि भारत मादक पदार्थों की मांग में कमी लाने के लिए अपनी पहली राष्ट्रीय नीति को अंतिम रुप देने के करीब है और सरकार ने इस संबंध में एक निगरानी समिति बनायी है.

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