फलस्तीनी विश्वविद्यालय को दिये गये भारत के तोहफे पर विवाद

यरुशलम : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी प्रतिष्ठित फलस्तीनी विश्वविद्यालय अल-कुद्स युनिवर्सिटी को भारत की तरफ से आईटी उपकरण भेंट करने वाले हैं लेकिन इस्राइल इस भारतीय तोहफे में शामिल चार संचार प्रणालियों को विश्वविद्यालय में ले जाने की इजाजत शायद ही दे जिससे आज एक विवाद पैदा हो गया. राष्ट्रपति कल अल-कुद्स युनिवर्सिटी के अत्याधुनिक इंन्फॉर्मेशन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 12, 2015 3:02 PM

यरुशलम : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी प्रतिष्ठित फलस्तीनी विश्वविद्यालय अल-कुद्स युनिवर्सिटी को भारत की तरफ से आईटी उपकरण भेंट करने वाले हैं लेकिन इस्राइल इस भारतीय तोहफे में शामिल चार संचार प्रणालियों को विश्वविद्यालय में ले जाने की इजाजत शायद ही दे जिससे आज एक विवाद पैदा हो गया. राष्ट्रपति कल अल-कुद्स युनिवर्सिटी के अत्याधुनिक इंन्फॉर्मेशन टेक्नोलोजी सेंटर का उद्घाटन करने वाले हैं और चार संचार प्रणालियां इसका अत्यंत अहम हिस्सा हैं. इस्राइल के कस्टम विभाग ने 30 कंप्यूटरों को ले जाने की आज इजाजत दे दी जो अश्दोद बंदरगाह पर फंसे पडे थे, लेकिन संचार प्रणालियां बेन गुरियान हवाई अड्डे पर ही अटकी हुई है और इसकी संभावना कम ही है कि उसे आईटी सेंटर ले जाने की इजाजत मिले.

यरुशलम में अधिकारियों ने कहा कि कस्टम विभाग से मंजूरी मिलने के बाद कंप्यूटर अब ले जाया जा रहा है और मुखर्जी द्वारा उद्घाटन किये जाने से पहले सेंटर पहुंच जाएंगे. इस बीच, इस्राइली सूत्रों ने यह कहते हुए इन विवादों को ज्यादा तरजीह नहीं दी कि संचार प्रणालियों को अल-कुद्स युनिवर्सिटी में ले जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि कानून इसकी इजाजत नहीं देता. इस्राइली सूत्रों ने कहा, ‘जिस तरह भारतीय कानून अपनी सरजमीन में सैटेलाइट फोन ले जाने की इजाजत नहीं देते, संचार प्रणालियों से संबंधित आवृत्ति (फ्रिक्वेंसी) के साथ तकनीकी मुद्दे हैं जो हमारी कानूनी आवश्यकताओं पर खरा नहीं उतरते.’

अल-कुद्स युनिवर्सिटी में राष्ट्रपति को मानद डाक्ट्रेट से सम्मानित किया जाना है. मुखर्जी पश्चिम एशिया के तीन राष्ट्रों की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दूसरे चरण में फलस्तीन में होंगे. इस चरण में वह इस्राइल में भी होंगे. कल उनकी जार्डन यात्रा मुकम्मल हुई थी. राष्ट्रपति के अल अक्सा मस्जिद जाने के कार्यक्रम पर बहु प्रचारित इस्राइली आपत्ति के बाद यह नया विवाद सामने आया है. फलस्तीनियों के शैक्षिक समर्थन एवं सहयोग में भारत हमेशा अग्रणी साझेदार रहा है. भारत फलस्तीन में क्षमता निर्माण प्रक्रिया की अग्रिम पंक्ति में रहा है.

उसने आईटीईसी कार्यक्रम के तहत फलस्तीनी छात्रों को सैंकडों वजीफे दिये हैं ताकि वे भारतीय विश्वविद्यालयों में कोई पेशेवर कार्यक्रम की शिक्षा ले सकें. इस्राइल ने टेंपल माउंट या हरम अल-शरीफ के परिसर में स्थित इस्लाम के तीसरे सबसे मुकद्दस स्थल अल अक्सा मस्जिद पर प्रतिबंध लगा दिया है जिसके बाद पिछले सितंबर माह से वहां झडपें चल रही हैं और अल कुद्स युनिवर्सिटी इसकी जद में आ चुकी है. युनिवर्सिटी ऑफ जार्डन ने भारत के अवाम और मानवता की 50 साल मिसाली सेवा के लिए कल राष्ट्रपति को राजनीति शास्त्र में डाक्ट्रेट की उपाधि से सम्मानित किया था.

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