यरुशलम: पश्चिम एशिया में जारी हिंसा पर भारत की ‘‘व्यथा’ व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सभी विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की आज अपील की जिस पर इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सहमति के स्वर व्यक्त करते हुए कहा कि उनका देश अरब देशों के साथ सह..अस्तित्व चाहता है लेकिन वह आतंकवाद के खिलाफ सख्ती से लडेगा. इस्राइल की यात्रा पर किसी भारतीय राष्ट्रपति के रुप में पहली बार आए मुखर्जी ने क्षेत्र में व्याप्त वर्तमान हिंसा के संदर्भ में ये टिप्पणी की.
इस हिंसा में अब तक फलस्तीन और इस्राइल दोनों ओर से बडी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं. मुखर्जी ने इस्राइल के अपने समकक्ष रेउवेन रिब्लिन द्वारा उनके सम्मान में अपने सरकारी आवास पर आयोजित समारोह में ये टिप्पणी की. उन्होंने कहा, ‘‘हम हाल की हिंसा से व्यथित हैं. भारत आतंकवाद के सभी स्वरुपों की निंदा करता है.
हमने हमेशा सभी विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है. ‘ रिब्लिन ने अपनी टिप्पणी में कहा कि भारत और इस्राइल विभिन्न क्षेत्रों में साथ मिलकर काम करते हुए ‘‘ इतिहास की रचना’ कर रहे हैं और ‘आतंकवाद एवं कट्टरवाद से अपनी अपनी जनता को सुरक्षित रख रहे हैं.’ इस्राइली मीडिया द्वारा भारतीय राष्ट्रपति के फलस्तीन में अपने प्रवास के दौरान फलस्तीनी आतंकवाद का जिक्र नहीं करने की आलोचनाओं के बीच मुखर्जी ने बाद में इस्राइली संसद नेसेट में कहा कि भारत का विश्वास है कि बातचीत और शांतिपूर्ण वार्ताओं के द्वारा मुद्दों का समाधान निकालने से बेहतर और कोई विकल्प नहीं है. मुखर्जी के बाद नेसेट में अपने संबोधन में नेतन्याहू ने अपनी बेबाक टिप्पणी में कहा कि भारत और इस्राइल दोनों ही आतंकवाद के शिकार हैं और जिसके खिलाफ वे साथ मिलकर और अलग अलग वर्षो से लड रहे हैं. उन्होंने मुम्बई आतंकी हमले का उल्लेख किया जिसमें चबाड हाउस पर भी हमला हुआ था.
नेतन्याहू ने आईएसआईएस जैसे उग्रवादी इस्लामी संगठनों की ओर से पेश कडी चुनौतियों का उल्लेख किया और इस बात पर जोर दिया, ‘‘ हमें उग्रवादियों से यह कहना चाहिए कि … बहुत हो चुका. ‘ उन्होंने कहा कि इस्राइल शांति चाहता है लेकिन वह आतंकवाद के खिलाफ खडा रहेगा जिसे पराजित किया जाना जरुरी है. मुखर्जी ने नेसेट के लगभग एक घंटे के विशेष सत्र में हिस्सा लिया. इस सत्र में उनके समकक्ष रेउवेन रिब्लिन, नेतन्याहू और विभिन्न दलों के सदस्य भी उपस्थित थे. सदन में सदस्यों ने अपने स्थान पर खडे होकर मुखर्जी का जोरदार स्वागत किया.
इस्राइल की तीन दिवसीय यात्रा पर आये मुखर्जी के प्रवास के दौरान दोनों देशों के बीच दोहरे कराधान से बचने के साथ सांस्कृतिक आदान प्रदान संबंधी समझौते हुए. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को इस्राइली संसद नेसेट को संबोधित करने का दुर्लभ सम्मान दिया गया. मुखर्जी ने सदन में कहा कि दोनों देशों के बीच के संबंध ‘अत्यधिक सकारात्मक दिशा’ में जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत की यह सतत नीति है कि इस्राइल के साथ मजबूत, व्यापक और आपसी लाभप्रद रिश्तों को आगे बढाया जाए. उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों के बीच पूर्ण कूटनीतिक संबंध स्थापित होने की 25वीं सालगिरह करीब है और ऐसे में हम दोनों अपनी भविष्य की साझेदारी की दृष्टि को और विस्तारित करना चाहते हैं.’ राष्ट्रपति ने 1999 में करगिल युद्ध के दौरान इस्राइल द्वारा भारत को महत्वपूर्ण रक्षा आपूर्ति किये जाने का भी उल्लेख किया. उन्होंने भारत सरकार के महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को रेखांकित करते हुए कहा कि इस्राइल के नवोन्मेष और प्रौद्योगिकी तथा भारत की इंजीनियरिंग एवं भारत में विनिर्माण की क्षमता आपस में जुड सकते हैं.
मुखर्जी ने इस्राइली संसद में कहा, ‘‘ ऐसी साझेदारी, खासकर रक्षा क्षेत्र में, भारत और इस्राइल दोनों में नये बाजार बनाने और रोजगार के और अधिक अवसर पैदा करने की क्षमता रखते हैं.’ भारत और इस्राइल दोनों के लोकतांत्रिक देश होने को रेखांकित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम इस मायने में ऐतिहासिक रहे कि भारतीय मतदाताओं ने 30 साल बाद पहली बार एक बहुमत सरकार बनाने के लिए मतदान किया. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि भारत के राष्ट्रपति के रुप में मेरा निर्वाचन पिछली सरकार के समय में हुआ, और मुझे इस बात का संतोष है कि मेरे सामने लोकतांत्रिक रुप से निर्वाचित एक सरकार से दूसरी निर्वाचित सरकार को सुगमतापूर्वक सत्ता परिवर्तन हुआ.
‘ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की भारत की दावेदारी का समर्थन करने के लिए मुखर्जी ने इस्राइल का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के संगठनों को दुनिया की चुनौतियों के प्रति और अधिक उत्तरदायी होना चाहिए और इसके ढांचे में बदलते विश्व के अनुरुप सुधारों की आवश्यकता है. राष्ट्रपति ने भारत सरकार की आर्थिक क्षेत्र में कुछ नई पहलों का उल्लेख किया जो नवोन्मेष, अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास पर जोर देने वाली है जिससे भारत के सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन को गति दी जा सके. उन्होंने कहा, ‘‘भारत और इस्राइल इन सभी क्षेत्रों में मिलकर काम कर सकते हैं.’ उन्होंने भारतीय किसानों के सामने असमान जलवितरण की समस्या को दूर करने औैर देश की नदियों खासकर पवित्र गंगा को साफ करने जैसी चुनौतियों से निपटने में इस्राइल की सहायता मांगी.