रिश्तों में विकास की महत्वपूर्ण गारंटीकर्ता है सरहद पर शांति:मनमोहन

बीजिंग : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि सीमा विवाद के हल होने तक सीमा पर अमन-शांति बरकरार रखने की भारतीय और चीनी नेतृत्व की प्रतिबद्धता दोनों देशों के बीच के रिश्तों में प्रगति, खास कर ढाई अरब लोगों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण गारंटी है. मनमोहन ने आज से शुरु होने वाली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2013 12:08 PM

बीजिंग : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि सीमा विवाद के हल होने तक सीमा पर अमन-शांति बरकरार रखने की भारतीय और चीनी नेतृत्व की प्रतिबद्धता दोनों देशों के बीच के रिश्तों में प्रगति, खास कर ढाई अरब लोगों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण गारंटी है. मनमोहन ने आज से शुरु होने वाली चीन की तीन दिन की यात्रा से पहले चीन के सरकारी मीडिया के साथ एक लिखित साक्षात्कार में कहा, ‘‘भारत और चीन के बीच सीमा प्रश्न जटिल और संवेदनशील है. हमने कोई राजनीतिक हल पाने के लिए विशेष प्रतिनिधि तंत्र तैनात किया है.’’उन्होंने विशेष प्रतिनिधियों के अभी तक के काम पर सवाल के जवाब में कहा कि विशेष प्रतिनिधियों ने ‘‘कठोर काम किया है और सीमा समाधान के राजनीतिक खाके और मार्गदर्शक उसूलों तक पहुंचे हैं.


मनमोहन ने कहा, ‘‘अपनी वार्ता के मौजूदा चरण में वे सीमा समाधान का एक खाका ढूंढ रहे हैं. मैं दोनों पक्षों के विशेष प्रतिनिधियों के काम की हिमायत करता हूं.’’ प्रधानमंत्री ने चीनी मीडिया के साथ अपने साक्षात्कार में कहा, ‘‘इस बीच, भारत और चीन दोनों सरकारें सीमा क्षेत्रों में अमन-शांति बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’’ सिंह ने सीमा पर शांति बरकरार रखने की जरुरत पर जोर डालते हुए कहा, ‘‘यह हमारे द्विपक्षीय रिश्तों में अतिरिक्त प्रगति एवं विकास का एक महत्वपूर्ण गारंटीकर्ता और मूलभूत आधार है. दोनों देशों का नेतृत्व इस मुद्दे पर एकताबद्ध हैं.’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने अपने विवादों का भी प्रबंधन किया और अपने सीमा क्षेत्र को शांतिपूर्ण रखा है. इसके साथ ही, हमने अपने मतभेदों को विविध क्षेत्रों में अपने सहयोग को विस्तार देने के रास्ते में आने नहीं दिया.’’ सिंह ने कहा, ‘‘हमारे रिश्तों में स्थिरता और निश्चिंतता अमूल्य साबित हुई क्योंकि भारत और चीन दोनों अपनी आंतरिक प्राथमिकता, खास कर ढाई अरब लोगों के विकास एवं प्रगति को पूरा करते हैं.’’

मनमोहन सिंह की चीन यात्रा के दौरान जिन करारों पर दस्तखत होने की उम्मीद है उसमें सीमा रक्षा सहयोग संधि (बीडीसीए) शामिल है. भारतीय मंत्रिमंडल इसे पहले ही मंजूरी दे चुका है. बीडीसीए को दोनों देश परस्पर विश्वास निर्माण का एक प्रमुख उपाय मानते हैं. भारत और चीन के बीच की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर इस साल चीनी घुसपैठ की कई घटनाएं हो चुकी हैं जिससे गंभीर तनाव पैदा हुआ.

प्रधानमंत्री ने चीनी मीडिया के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘जब तक हम 1993, 1996 और 2005 के समझौतों में तय उसूलों और प्रक्रियाओं का पालन करते रहेंगे, जरुरत पड़ने पर भारत और चीन के बदलते यथार्थ को ध्यान में रखते हुए उनमें विस्तार और सुधार करते रहेंगे और अपने सीमा बलों के बीच वार्ता एवं दोस्ताना लेन-देन करते रहेंगे, मुझेविश्वास है कि नेताओं के बीच की सामरिक आमसहमति की जमीनी सतह पर अभिव्यक्ति जारी रहेगी.’’ प्रधानमंत्री से जब पिछले दस साल के दौरान भारत-चीन रिश्तों के जबरदस्त विकास के बारे में सवाल किया गया और पूछा गया कि वह चीन के नए नेतृत्व को क्या संदेश देना चाहेंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 9 साल के दौरान जब मैं प्रधानमंत्री रहा, मैंने भारत-चीन रिश्तों को एक स्थिर विकास मार्ग पर डालने की कोशिश की है.’’

मनमोहन ने कहा, ‘‘चीनी नेतृत्व के साथ मिल कर काम करते हुए, मेरा प्रयास हमारे द्विपक्षीय रिश्तों के लिए एक अग्रगामी एजेंडा बनाने का रहा है. हमारे आर्थिक लेनदेन में जबरदस्त इजाफा हुआ है और भारत तथा चीन दोनों खुद भी विकसित एवं खुशहाल हुए हैं.’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘चीन की मेरी पिछली यात्रा पांच साल पहले वित्तीय संकट और वैश्विक आर्थिक मंदी शुरु होने से पहले हुई थी. कमजोर वैश्विक आर्थिक स्थिति के बावजूद आज भारत और चीन का विकास जारी है, अलबत्ता धीमे.’’ मनमोहन ने कहा, ‘‘अब चीन में एक नई सरकार है. इस साल, पहले ही राष्ट्रपति शी (चिनफिंग)और प्रधानमंत्री ली से मेरी उपयोगी बैठक हो चुकी है. मैं अपनी यात्रा का उपयोग नए नेतृत्व को बेहतर ढंग से जानने और द्विपक्षीय रिश्तों में चौतरफा विकास करने और उन्हें अनवरत विकास के मार्ग पर डालने की उम्मीद करता हूं.’’

Next Article

Exit mobile version