हीब्रू विश्वविद्यालय ने मुखर्जी को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया

यरुशलम: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को प्रख्यात हिब्रू विश्वविद्यालय ने आज डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया. पश्चिम एशिया की छह दिवसीय यात्रा पर उन्हें मिली डॉक्टरेट की यह तीसरी उपाधि है जो जार्डन, फलस्तीन और इस्राइल के साथ भारत के गर्मजोशी भरे संबंध को जाहिर करता है. इस्राइल की यात्रा करने वाले मुखर्जी प्रथम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2015 7:38 PM

यरुशलम: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को प्रख्यात हिब्रू विश्वविद्यालय ने आज डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया. पश्चिम एशिया की छह दिवसीय यात्रा पर उन्हें मिली डॉक्टरेट की यह तीसरी उपाधि है जो जार्डन, फलस्तीन और इस्राइल के साथ भारत के गर्मजोशी भरे संबंध को जाहिर करता है. इस्राइल की यात्रा करने वाले मुखर्जी प्रथम भारतीय राष्ट्राध्यक्ष हैं.

उच्च शिक्षा के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता, भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में योगदान और लंबे समय से भारत…इस्राइल मजबूत संबंधों की पैरोकारी करने को लेकर उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधियों से सम्मानित किया गया है. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि वह दोस्ती की इस भावना को बहुत महत्व देते हैं और भारत इस्राइल के लोगों के साथ अपनी दोस्ती और साझेदारी को काफी अहमियत देता है. मुखर्जी ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल, ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम और स्मार्ट शहरों के निर्माण में इस्राइल से भागीदारी की भी मांग की.
उन्होंने कहा, ‘‘आपके विचार और नवोन्मेष इन महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों के लक्ष्यों को हासिल करने में काफी दूर तक जा सकते हैं.’ भारत की विविधता वाली आबादी के बारे में यहां कई नेताओं की जिज्ञासा पर राष्ट्रपति ने कहा कि ‘‘विविधता एकता का कारक है’ और भारत का हमेशा से विविधता में एकता में यकीन रहा है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत की मजबूती विरोधाभासों को सकारात्मक प्रयासों का रुप देने की रही है. ‘भारत एक ऐसा देश है जो अदृश्य मजबूत धागों से जुडा हुआ है.’ बचपन में ही भारत से प्रवास कर गए भारत यहूदी समुदाय के एक नेता ने कहा कि भारत के सह अस्तित्व के मॉडल पर इस्राइली नेताओं को गौर करते देख और इस्राइली संसद केसेट जैसे मंचों की सराहना किए जाने को लेकर भी खुश हैं.
इस्राइल में भारतीय यहूदियों के केंद्रीय संगठन के पूर्व अध्यक्ष नोह मासील नेबताया , ‘‘मैं दशकों से इस बात पर जोर देने की कोशिश कर रहा हूं कि भारत दुनिया में शायद एकमात्र ऐसा देश है जहां बहुत अधिक पूर्वाग्रह नहीं है और हम समानता के साथ रहते हैं.’ नोह ने कहा, ‘‘यहां यह समुदाय इसमें गौरव महसूस करता है और यह एक वजह है कि उन्होंने अपनी भारतीयता को जीवंत बनाए रखा है. मैं यह देख कर खुश हूं कि यह अब शिक्षाविदें के एक छोटे से तबके से आगे जा रहा है. ‘ जार्डन विश्वविद्यालय ने 11 अक्तूबर को मुखर्जी को राजनीतिक विज्ञान में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया था.
राष्ट्रपति को पश्चिम एशिया की अपनी छह दिवसीय यात्रा के दौरान अल कुद विश्वविद्यालय ने भी डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है.

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