बीजिंग : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार में भारी असंतुलन को लेकर भारत की चिंताओं को कल चीन के समक्ष उठाया जबकि दोनों देशों ने बढ़ते व्यापार अंतर को पाटने के लिए रास्ते तलाशने पर सहमति जताई है.
सिंह ने चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, प्रधानमंत्री ली ने हमारे दोनों देशों के बीच अत्यधिक व्यापार असंतुलन के बारे में मेरी चिंताओं पर गौर किया और हमने इस अंतर को पाटने के रास्ते तलाशने पर सहमति जताई है.सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ली ने भारत में चीनी औद्योगिक पार्क का जो सुझाव नई दिल्ली में दिया था हम उसे आगे बढा रहे हैं क्योंकि यह पार्क भारत में चीन से निवेश को आकर्षित करने में चुंबक का काम करेगा.
दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार पिछले साल बढ़कर 66.5 अरब डालर हो गया जिसमें चीन का भारत को निर्यात लगभग 47.7 अरब डालर का था. भारत आईटी व दवा जैसे क्षेत्रों में चीन पर बाजार खोलने का दबाव बना रहा है. इन क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों की बढ़त है. भारत व चीन ने 2015 तक द्विपक्षीय कारोबार को 100 अरब डालर करने का लक्ष्य रखा है.
सिंह ने कल चीन के आधिकारिक मीडिया से कहा था, चीन के साथ व्यापार में भारत भारी असंतुलन का सामना कर रहा है. भारत के लिए इस व्यापार घाटे से उबरने का एक तरीका चीन से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना है.चीनी नेताओं के साथ सिंह की बातचीत के बाद जारी साझा बयान के अनुसार इन नेताओं ने स्वीकार किया कि भारत व चीन व्यावहारिक सहयोग तथा साझेलाभ वाली नीतियों के आधार पर आर्थिक संबंधों के नये दौर में प्रवेश को तैयार हैं.
सिंह तथा ली ने उम्मीद जताई कि रणनीतिक आर्थिक संवाद नवंबर: दिसंबर 2013 में अपनी बैठक में उन क्षेत्रों में विशेष परियोजनाओं तथा पहलों पर काम करेगा जहां पहले ही सहमति बन चुकी है.
सिंह ने कहा, हम बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमा :बीसीआईएम: आर्थिक गलियारे की व्यावहार्यता की पड़ताल कर रहे हैं ताकि हमारे दोनों देशों को दक्षिण रेशम मार्ग के जरिए जोड़ा जा सके. यह परियोजना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दक्षिण एशिया को पूर्व एशिया से जोड़ेगी तथा यह क्षेत्रीय आर्थिक गतिविधियों के अनुकूल है.