रुस भारत का ‘जांचा और परखा दोस्त” : सुषमा

मॉस्को : भारत और रुस ने आज यहां रक्षा, असैन्य परमाणु सहयोग एवं व्यापार संबंधों सहित प्रमुख क्षेत्रीय और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रुस को ‘जांचा एवं परखा’ साझेदार और ‘असली दोस्त’ करार दिया. सुषमा और रुसी विदेश मंत्री सर्गेई लावारोव ने द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान भारत में करीब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2015 9:35 PM

मॉस्को : भारत और रुस ने आज यहां रक्षा, असैन्य परमाणु सहयोग एवं व्यापार संबंधों सहित प्रमुख क्षेत्रीय और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रुस को ‘जांचा एवं परखा’ साझेदार और ‘असली दोस्त’ करार दिया.

सुषमा और रुसी विदेश मंत्री सर्गेई लावारोव ने द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान भारत में करीब 200 कामोव 226टी हेलीकॉप्टरों के निर्माण के लिए रुसी सरकार के संयुक्त उपक्रम के बारे में बात की. इससे भारत सरकार के महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने बताया कि विदेश मंत्री ने एक घंटे से अधिक समय तक चली बातचीत के दौरान भारतीय पर्यटकों एवं कारोबारियों के लिए वीजा व्यवस्था को उदार बनाने का मुद्दा उठाया. सुषमा ने यह भी कहा कि वह यह बताते हुए बहुत खुश हैं कि ‘द्रूजबा-दोस्ती’ के सभी पहलुओं पर प्रगति हुई है. ‘द्रूजबा-दोस्ती’ एक दृष्टि पत्र है जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रुसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल की मुलाकात के दौरान सहमति जताई थी.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपको बताना चाहती हूं कि रुस भारत का जांचा और परखा साझेदार तथा असली दोस्त है. रुस को लेकर हमारी विदेश नीति भी यही रही है.” स्वरुप ने कहा कि दोनों विदेश मंत्रियों ने असैन्य परमाणु क्षेत्र तथा व्यापार एवं निवेश में सहयोग बढाने के उपायों के बारे में बातचीत की। दोनों पक्षों ने सीरिया के हालात तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर भी चर्चा की.
लावारोव ने कहा कि वह आशान्वित हैं कि सुषमा के इस दौर से भारत-रुस संबंधों को गति मिलेगी. उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन में भारत के प्रवेश का उल्लेख किया और कहा कि उसकी पूर्ण सदस्यता से इस समूह के लक्ष्यों को हासिल करने के प्रयासों को प्रोत्साहन मिलेगा. रुस एससीओ में भारत की स्थायी सदस्यता के पक्ष में रहा है. उसका कहना है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के शामिल होने से इस समूह को मजबूती मिलेगी.

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