ऐतिहासिक अन्याय के निवारण के लिए सुरक्षा परिषद में सुधार जरुरी: भारत

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता से अफ्रीकी महाद्वीप को अलग रखे जाने से इस वैश्विक निकाय की, प्रतिनिधित्व संबंधी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा होता है तथा ‘ऐतिहासिक अन्याय’ के निवारण के लिए सुरक्षा परिषद में सुधार जरुरी है. विदेश राज्य मंत्री परनीत कौर ने कल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 26, 2013 11:41 AM

संयुक्त राष्ट्र : भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता से अफ्रीकी महाद्वीप को अलग रखे जाने से इस वैश्विक निकाय की, प्रतिनिधित्व संबंधी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा होता है तथा ‘ऐतिहासिक अन्याय’ के निवारण के लिए सुरक्षा परिषद में सुधार जरुरी है.

विदेश राज्य मंत्री परनीत कौर ने कल यहां कहा, ‘‘यह विडंबना है और सुरक्षा परिषद की प्रतिनिधित्व संबंधी विश्वसनीयता पर लगातार सवाल खड़ा कर रहा है कि पूरे अफ्रीका महाद्वीप की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता नहीं है, जबकि इस निकाय का 75 फीसदी काम अफ्रीका पर ही केंद्रित है.’’

वह संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘अफ्रीका के विकास के लिए नई साझेदारी’ विषय पर चर्चा में बोल रही थीं. उन्होंने कहा कि अफ्रीका के साथ भारत की साझेदारी में वैश्विक शासन व्यवस्था को मजबूत करने तथा बहुपक्षीय संस्थाओं को लोकतांत्रिक बनाने की क्षमता है. कौर ने कहा, ‘‘हम अपने अफ्रीकी दोस्तों के साथ सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधारों की जरुरत और ऐतिहासिक अन्याय का निवारण कर इसे समकालीन वास्तविकताओं के संदर्भ में प्रासंगिक बनाने पर जोर देते रहेंगे.’’

विदेश राज्य मंत्री संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न सत्रों में हिस्सा लेने के लिए आए मंत्रियों और सांसदों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं. विदेश राज्य मंत्री कौर ने कहा कि साल 2015 में संयुक्त राष्ट्र के स्थापना की 70 वीं वर्षगांठ होगी तथा वैश्विक नेताओं की ओर से 2005 में जल्द सुधारों के संदर्भ में किए गए फैसले के भी 10 साल पूरे हो जाएंगे.

उन्होंने कहा कि सर्वांगीण विकास और समृद्धि के जरिए न केवल सर्वव्यापी विकास और समृद्धि का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है बल्कि अफ्रीका महाद्वीप के सामने खड़ी गंभीर चुनौतियों का मुकाबला किया जा सकता है.

कौर ने कहा कि भयावह गरीबी, भूख, उचित पोषण के अभाव और संघर्ष के कारण अफ्रीका का विकास बाधित है.

उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि अफ्रीका को मिलने वाली वैश्विक सहायता में कमी आई है. यह वैश्विक सहायता साल 2012 में 125.9 अरब डॉलर थी, जबकि एक साल पहले यह 133.7 अरब डॉलर थी.

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