लाहौर :पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार किया कि उनके देश ने कश्मीर में आतंकवाद को बढावा देने के लिए 1990 के दशक में लश्कर ए तैयबा जैसे संगठनों को समर्थन और प्रशिक्षण दिया था. मुशर्रफ ने रविवार को ‘दुनिया न्यूज’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘1990 के दशक में कश्मीर में आजादी का संघर्ष शुरू हुआ. उस समय लश्कर ए तैयबा और 11 या 12 अन्य संगठन गठित हुए. हमने उनका समर्थन किया और उन्हें प्रशिक्षण दिया क्योंकि वे अपनी जिंदगी की कीमत पर कश्मीर में लड रहे थे.’
पूर्व सेना प्रमुख लश्कर ए तैयबा के हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी के खिलाफ कार्रवाई से जुडे एक सवाल पर जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि सईद और लखवी जैसे लोगों की उस समय हैसियत हीरो जैसी थी. मुशर्रफ ने कहा, ‘हाफिज सईद और लखवी सहित कश्मीरी आजादी के लिए लडने वाले उस समय हमारे नायक थे. बाद में धार्मिक चरमपंथ आतकंवाद में बदल गया. अब वे (पाकिस्तान में आतंकियों का हवाला देते हुए) यहां अपने लोगों की ही हत्या कर रहे हैं और यह नियंत्रित और रोका जाना चाहिए.’
एक सवाल कि सईद और लखवी को भी ‘नियंत्रित और रोका’ जाना चाहिए, मुशर्रफ ने कहा ‘नो कमेंट.’ मुशर्रफ ने कहा कि पाकिस्तान ने ‘धार्मिक चरमपंथ’ शुरू किया जिससे सोवियत बलों के खिलाफ लडने के लिए दुनिया भर से चरमपंथी आए. उन्होंने कहा कि 1979 में पाकिस्तान धार्मिक चरमपंथ के पक्ष में था. मुशर्रफ ने कहा, ‘हमने तालिबान को प्रशिक्षण दिया और उन्हें रूस भेजा. हक्कानी, ओसामा बिन लादेन और जवाहिरी उस समय हमारे हीरो थे. बाद में वे खलनायक बन गये.’ उन्होंने साथ ही कहा कि लोगों को इस समय पूरे हालात को समझने की जरुरत है.