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मुशर्रफ का हमला कहा, मोदी सरकार को कब आयेगी सद्बुद्धि

कराची : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने कहा है कि भाजपा सरकार को ‘सद्बुद्धि आएगी’ और वह भारत में पाकिस्तान विरोध एवं धार्मिक असहिष्णुता के बावजूद पाकिस्तान के साथ बातचीत बहाल करेगी. मुशर्रफ ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि आखिर में भाजपा सरकार में भी सद्बुद्धि आएगी. हमने कांग्रेस […]

कराची : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने कहा है कि भाजपा सरकार को ‘सद्बुद्धि आएगी’ और वह भारत में पाकिस्तान विरोध एवं धार्मिक असहिष्णुता के बावजूद पाकिस्तान के साथ बातचीत बहाल करेगी. मुशर्रफ ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि आखिर में भाजपा सरकार में भी सद्बुद्धि आएगी. हमने कांग्रेस और भाजपा सरकार दोनों के साथ काम किया है और लंबित मुद्दों के समाधान के लिए निरंतर बातचीत ही आगे बढने का रास्ता है.’ वह यहां कल पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की पुस्तक ‘निदर ए हॉक नॉर ए डव’ के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे. इस मौके पर पूर्व भारतीय पेट्रोलियम मंत्री मणिशंकर अय्यर तथा ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष सुधींद्र कुलकर्णी भी उपस्थित थे.

पिछले महीने मुंबई में कसूरी के पुस्तक विमोचन से पहले शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने कुलकर्णी के चेहरे पर कालिख फेंक दी थी. मुशर्रफ ने कहा कि भारत-पाक संबंध उनके कार्यकाल के दौरान अच्छे थे तथा कई विवादों का समाधान होने वाला ही था. उन्होंने कहा कि दोनों नौसेना की ओर से सर क्रीक का रेखांकन किया गया तथा सियाचिन में रेखांकन भी होने की तैयारी थी. मुशर्रफ ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मुझे अफसोस है कि हम इतने निकट थे जो कभी नहीं हुआ.’

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि कार्यकाल में कश्मीर मुद्दे को लेकर चार प्रारुपों पर भारत और पाकिस्तान ने करीब-करीब सहमति बना ली थी. उन्होंने कहा कि इनमें कश्मीर में सेना की मौजूदगी धीरे-धीरे कम करना, क्षेत्र में स्व-शासन सुनिश्चित करना, कश्मीर के लिए एक निगरानी संस्था का गठन करना तथा लोगों की आवाजाही के लिए छह रास्ते खोलकर नियंत्रण रेखा को अप्रासंगिक बनाना शामिल था. मुशर्रफ ने कहा कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद बातचीत के जरिए ही हल किए जा सकते हैं. उन्होंने ‘शांति को लेकर गंभीर’ होने के लिए पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह की तारीफ की. कारगिल युद्ध का हवाला देते हुए मुशर्रफ ने कहा, ‘यह एक सैन्य विजय थी जो राजनीतिक हार में तब्दील हो गई.’

उन्होंने यह भी कहा कि कसूरी की पुस्तक उन ‘गलत धारणाओं को दूर करती है’ कि पाकिस्तानी सेना भारत के साथ शांति के खिलाफ है. पूर्व पाकिस्तानी सैन्य शासक ने कहा, ‘सेना भारत के साथ शांति चाहती है लेकिन सम्मान, स्वाभिमान और संप्रभु समानता के साथ.’ मुशर्रफ के शासन में विदेश मंत्री रहे कसूरी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान मुशर्रफ के कार्यकाल में कश्मीर मुद्दे सहित कई विवादों को हल करने के ‘ऐतिहासिक’ मौके का फायदा उठाने में नाकाम रहे. उन्होंने कहा कि अगर भारत वैश्विक अगुवा बनना चाहता है तो यह जरुरी है कि वह पडोसी देशों खासकर पाकिस्तान के साथ शांति की कोशिश करे.

भारत को करनी चाहिए पाक से बात

कसूरी ने कहा, ‘अगर मोदी सफल होने के इच्छुक हैं तो उनको पाकिस्तान के साथ बातचीत की मेज पर आने की जरुरत है.’ मुशर्रफ के विचारों से सहमति जताते हुए अय्यर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ अच्छा भाव और बातचीत तभी बहाल हो सकेगी जब कांग्रेस सत्ता में आये. उन्होंने कहा कि यह ‘परेशानी वाली बात’ है कि भारत सरकार तथा पाकिस्तान में एक के बाद एक सरकारें मुशर्रफ-कसूरी के दिनों के दौरान हुए समझौतों को स्वीकारने में विफल रहीं. कांग्रेस नेता अय्यर ने कहा, ‘कसूरी ने अगर पुस्तक नहीं लिखी होती तो ये सभी बातें गायब हो गई होतीं.’

मोदी की विदेश नीति स्‍पष्‍ट नहीं : कुलकर्णी

कुलकर्णी ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच के रिश्तों के भविष्य को लेकर आशान्वित हैं. उन्होंने कहा, ‘यह सत्य है कि मोदी की विदेश नीति फिलहाल स्पष्ट नहीं है तथा यहां-वहां है, लेकिन मुझे भरोसा है कि आखिरकार यह शांति वार्ता के पक्ष में आएगी.’ कुलकर्णी ने यह भी कहा कि आतंकवाद और धार्मिक चरमपंथ दोनों देशों के लिए समान खतरे हैं. उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना को महान मानवतावादी और महान नेता के तौर पर स्वीकारने की जरुरत पर जोर दिया. ओआरएफ प्रमुख ने कहा, ‘पाकिस्तान को (भी) महात्मा गांधी, नेहरु तथा अबुल कलाम आजाद को सही परिदृश्य में देखना चाहिए.’ कुलकर्णी जब मंच पर पहुंचे तो उनका खडे होकर तालियों के गडगडाहट के साथ स्वागत किया गया.

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