सिर्फ सामाजिक सामंजस्य हो लोकतंत्र का लिटमस टेस्ट : अंसारी
लंदन: यह स्वीकार करते हुए कि विविधता भारत की खास विशेषता है उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि लोकतंत्र को संरक्षित रखने के लिए लिटमस टेस्ट सिर्फ नागरिकता के मत के माध्यम से सामाजिक तालमेल को बरकरार रखना होना चाहिए. प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड सेन्टर फॉर इस्लामिक स्टडीज में ‘सिटिजनशिप एण्ड आइडेंटिटी’ पर व्याख्यान देते हुए […]
लंदन: यह स्वीकार करते हुए कि विविधता भारत की खास विशेषता है उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि लोकतंत्र को संरक्षित रखने के लिए लिटमस टेस्ट सिर्फ नागरिकता के मत के माध्यम से सामाजिक तालमेल को बरकरार रखना होना चाहिए.
प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड सेन्टर फॉर इस्लामिक स्टडीज में ‘सिटिजनशिप एण्ड आइडेंटिटी’ पर व्याख्यान देते हुए अंसारी ने कहा, ‘‘पहचान के चिन्हक के रुप में अल्पसंख्यक अधिकारों का प्रश्न और नागरिकता के अधिकारों की सीमा में उनका समायोजन भारत में अभी भी जीवंत(मुद्दा)बना हुआ है.’’
तीन देशों की यात्र के तीसरे और अंतिम चरण में कल यहां पहुंचे उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारतीय समाज की मुख्य विशेषता उसकी विविधता है. इतिहासकार रामचन्द्र गुहा हमारे समकालीन इतिहास को ‘विवादित नक्शों की एक श्रृंखला’ की भांति देखते हैं जिसमें जाति, भाषा, धर्म और वर्ग शामिल है और विचार व्यक्त करते हैं कि इससे संबंधित विवाद अकेले और श्रृंखला दोनों रुप में हैं.’’ उन्होंने रेखांकित किया कि यह सभी बातें पहचान की घटती-बढ़ती प्रबलता को सामने लाते हैं और साथ मिलकर वह भारतीय संविधान की प्रस्तावना की पहली पंक्ति ‘हम, भारत के लोग’ को चरितार्थ करते हैं.
विभिन्न संस्कृतियों और पहचानों के बीच सौहार्द के संबंध में बातें करते हुए अंसारी ने कहा, ‘‘1977 में हुए संविधान संशोधन के दौरान राज्य के नीति निर्देशक तत्व के भाग के रुप में नागरिकों के मौलिक कर्तव्य का भाग जोड़ा गया जो धार्मिक, भाषायी और क्षेत्रीय या सामुदायिक विविधताओं से उपर उठकर सौहार्द और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने की प्रतिज्ञा करता है.’’