पाकिस्तान तालिबान ने नए प्रमुख के चयन के फैसले को स्थगित किया
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के अशांत उत्तरी वजीरिस्तान कबायली क्षेत्र में ड्रोन हमलों में हकीमुल्ला महसूद की मौत के एक दिन बाद पाकिस्तान तालिबान ने शनिवार को खान सैयद महसूद उर्फ सजना को नया प्रमुख चुना था, लेकिन कुछ आतंकी कमांडरों के विरोध के बाद इस फैसले को स्थगित कर दिया गया. तालिबान सूत्रों ने बताया कि […]
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के अशांत उत्तरी वजीरिस्तान कबायली क्षेत्र में ड्रोन हमलों में हकीमुल्ला महसूद की मौत के एक दिन बाद पाकिस्तान तालिबान ने शनिवार को खान सैयद महसूद उर्फ सजना को नया प्रमुख चुना था, लेकिन कुछ आतंकी कमांडरों के विरोध के बाद इस फैसले को स्थगित कर दिया गया.
तालिबान सूत्रों ने बताया कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने शहरयार महसूद को कार्यवाहक प्रमुख चुना है और अगले कुछ दिनों शूरा की बैठक अगले कुछ दिनों में होगी जिसमें नए नेता पर फैसला किया जाएगा. सूत्रों ने कहा कि शूरा (परिषद) ने शुरु में सजना के नाम पर सहमति जताई थी, लेकिन नूरिस्तान शूरा से ताल्लुक रखने वाले कमांडरों के विरोध के कारण इस फैसले को रोक दिया गया.
डॉन न्यूज ने आतंकवादियों के सूत्रों के हवाले से खबर दी थी बैठक में भाग लेने पहुंचे शूरा (परिषद) के 43 सदस्यों ने सजना के समर्थन में मत दिया. तालिबान के प्रवक्ता आजम तारिक ने कल के ड्रोन हमले में महसूद के मौत की पुष्टि की है और कहा है कि संगठन अपनी गतिविधियां जारी रखेगा. इस बीच अपने शीर्ष नेता की हत्या से गुस्साए तालिबान ने इस हमले का बदला लेने का संकल्प लिया है. आतंकवादी संगठन का आरोप है कि इस हमले में पाकिस्तान सरकार भी शामिल थी.
न्यूयार्क टाइम्स ने उत्तर वजीरिस्तान के एक तालिबान कमांडर अबु उमर के हवाले से कहा, ‘‘ हमारा बदला अभूतपूर्व होगा.’‘उमर ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार भी ड्रोन हमले में पूरी तरह शामिल थी. हकीमुल्ला की मौत के मद्देनजर पाकिस्तान में सुरक्षा बढा दी गई है.गृह मंत्रालय के प्रवक्ता उमर हमीद खान ने पीटीआई से कहा, ‘‘ सभी एहतियातन कदम उठा लिए गए हैं.’‘इस्लामाबाद के अलावा देश के सभी संवेदनशील सरकारी संस्थानों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. सामान्य दिनों की अपेक्षा सड़कों पर अधिक पुलिसकर्मी देखे जा सकते हैं.
ऐसा बताया जाता है कि 36 वर्षीय सजना कराची में नौसेना के एक अड्डे पर हमला करने में संलिप्त था और उसे 2012 में जेल तोड़ने का मास्टरमाइंड माना जाता है जिसमें तालिबान ने उत्तरपश्चिम बन्नू शहर में करीब 400 कैदियों को जेल से भगाया था. इससे पहले एक अधिकारी ने कहा था, ‘‘सजना के पास पारंपरिक या धार्मिक बुनियादी शिक्षा नहीं है लेकिन उसे युद्ध का अनुभव है. उसे अफगानिस्तान में लड़ाई का अनुभव है.’‘सजना इससे पहले दक्षिण वजीरिस्तान में तालिबान का प्रमुख था. परिषद ने अध्यक्ष पद के लिए सजना, उमर खालिद खुरासानी , मुल्ला फैजलुल्ला और सजना के नाम पर विचार किया था. मोहमंद तालिबान प्रमुख उमर खालिद खुरासानी इस पद का मजबूत दावेदार था क्योंकि वह एकमात्र जीवित वरिष्ठ कमांडर है जिसने हकीमुल्ला के नेतृत्व में प्रत्यक्ष रुप से अभियानों की कमान संभाली थी.
स्वात तालिबान के प्रमुख मुल्ला फैजलुल्ला प्रमुख पद के लिए एक अन्य संभावित पसंद था ,लेकिन इस समय वह अफगानिस्तान में है. अमेरिकी ड्रोन ने उत्तरी वजीरिस्तान के दांडी दारपाखेल इलाके में एक परिसर को कल निशाना बनाया जिसमें हकीमुल्ला (30) और पांच अन्य तालिबान आतंकवादी मारे गए और दो अन्य घायल हो गए. उनके शवों को उत्तर वजीरिस्तान में विभिन्न अज्ञात स्थानों पर आज दफना दिया गया. ड्रोन हमला ऐसे समय हुआ है जब पाकिस्तानी सरकार तालिबान के साथ शांति वार्ता शुरु करने की तैयारी कर रही है ताकि देश में हिंसा का चक्र समाप्त हो. हिंसा के कारण कम से कम 7000 सुरक्षाकर्मी और करीब 40,000 लोग मारे गए हैं.
टीटीपी में शामिल होने के बाद हकीमुल्ला शुरुआत में एक सामान्य आतंकवादी था लेकिन बाद में वह तत्कालीन प्रमुख बैतुल्ला महसूद के काफी निकट आ गया. हकीमुल्ला ने अगस्त, 2009 में बैतुल्ला महसूद के मारे जाने के बाद टीटीपी की कमान संभाली थी. बैतुल्ला महसूद भी ड्रोन हमले में मारा गया था. पाकिस्तान के अशांत उत्तरी वजीरिस्तान में सीआईए की ओर से संचालित ड्रोन हमले में तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के प्रमुख हकीमुल्ला महसूद की मौत के बाद देशभर में सुरक्षा बढा दी गई है.
तालिबान की ओर से किसी भी प्रकार की संभावित प्रतिक्रिया रोकने के लिए पुलिस और सुरक्षा कर्मियों को सर्तकता बरतने का आदेश दिया गया है. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता उमर हमीद खान ने पीटीआई से कहा, ‘‘ सभी एहतियातन कदम उठा लिए गए हैं.’‘ सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि हकीमुल्ला की मौत के बाद तालिबान की ओर से प्रतिक्रिया दिए जाने की उम्मीद है.गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ड्रोन हमलों का मकसद तालिबान के साथ शांति वार्ता में बाधा उत्पन्न करना था. उन्होंने जमात ए इस्लामी के प्रमुख सैयद मुनव्वर हसन और जेयूआई-एफ के नेता मौलाना फजलुर रहमान से बात की.
मीडिया की खबरों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि मंत्री ने हसन और रहमान से कहा कि ड्रोन हमले ऐसे समय किए गए जब सरकार तालिबान के साथ वार्ता शुरु करने के लिए वार्ताकार भेजने वाली थी. विश्लेषकों ने कहा कि देश में कहीं भी खासकर पेशावर में बदले की कार्रवाई के तहत हिंसक हमले किए जाने की संभावना है.
विश्लेषक रजा खान ने आज एक लेख में लिखा , ‘‘ हालांकि टीटीपी इस अपूरणीय क्षति के कारण तत्काल बड़े स्तर पर हमला करने में सक्षम नहीं हो पाएगा. यदि समूह अब भी बड़े स्तर पर हमले करता है तो यह उसकी मौजूदा शक्ति का संकेत होगा. यदि वह ऐसा करने में असफल रहता है तो यह आतंकवादी संगठन के समापन की शुरुआत का संकेत होगा.’‘