बीजिंग : चीनी विश्लेषकों का कहना है कि पीएमएल एन प्रमुख नवाज शरीफ की अगुवाई वाली नई सरकार के नेतृत्व में भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्ते सुधर सकते हैं और उसकी आतंकवाद निरोधक रणनीति भी बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकती है.
‘शंघाई इन्स्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्ट्रैटेजिक स्टडीज’ में ‘दक्षिण और मध्य एशियाई अध्ययन संस्थान’ के प्रमुख वांग देहुआ ने सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ से कहा कि शरीफ के नेतृत्व में पाकिस्तान और भारत के रिश्ते भी सुधर सकते हैं. वांग ने कहा ‘वर्ष 1999 में शरीफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पाकिस्तान की ऐतिहासिक यात्र के लिए आमंत्रित किया था.’ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कल अपने आधिकारिक ट्विटर पेज पर लिखा कि उन्हें उम्मीद है कि परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच संबंधों के नए दौर का सूत्रपात होगा.
शरीफ ने कल कहा कि अपने शपथ ग्रहण समारोह में सिंह को आमंत्रित कर उन्हें बहुत खुशी होगी. विदेश नीतियों से अलग देखें तो शरीफ को आर्थिक विकास तथा उर्जा सुरक्षा में सुधार सहित बड़ी घरेलू चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
वांग ने कहा ‘अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में शरीफ के लिए यह एक अच्छी बात होगी कि वह एक मजबूत सरकार बना सकते हैं क्योंकि उन्हें बड़े विपक्षी दलों के साथ गठबंधन नहीं बनाना पड़ेगा.’ ‘चाइना इन्स्टीट्यूट्स ऑफ कन्टेम्परेरी इंटरनेशनल रिलेशन्स’ में दक्षिण एशियाई मामलों के प्राध्यापक फू चियाओक्विंग ने कहा कि सत्ता में शरीफ की वापसी के साथ ही पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तथा अमेरिका के साथ उसके रिश्तों पर ध्यान केंद्रित होगा.
उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और वाशिंगटन के साथ अपने रिश्ते बनाए रखेगा और हो सकता है कि नया पाकिस्तानी नेतृत्व मुद्दे का गैर सैन्य समाधान खोजे और अन्य देशों के साथ आतंकवाद निरोधक संयुक्त अभियानों को अंजाम देते हुए अपने प्रमुख राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा पर जोर दे.
चीन ने शरीफ की जीत का स्वागत किया है. चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग भारत यात्र के बाद अगले सप्ताह इस्लामाबाद जाएंगे और शरीफ से मुलाकात करने वाली पहली विदेशी हस्ती होंगे.
फू के मुताबिक, पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस्लामी उग्रवाद तथा अमेरिका के साथ पाकिस्तान के रिश्तों के संदर्भ में शरीफ और अधिक व्यवहारिक रुख अपना रहे हैं जो इस तथ्य से समझा जा सकता है कि अमेरिकी ड्रोन हमलों का विरोध करने में शरीफ का स्वर पाकिस्तान तहरीक ए इन्साफ पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान की तुलना में धीमा रहा है.
फू ने कहा ‘शरीफ ने प्रचार में अपने समर्थकों से वादा किया और वह जानते भी हैं कि उग्रवाद का मतलब सिर्फ तालिबान के खतरे से मुकाबला करना नहीं है. वह और अधिक बातचीत का प्रयास करेंगे, कबायलियों से सुलह सहमति करेंगे और बेहतर प्रशासन देने की कोशिश करेंगे.’ अमेरिका के साथ संबंधों के बारे में फू ने कहा कि शरीफ इस्लामाबाद और वाशिंगटन के बीच द्विपक्षीय संबंधों का ध्यान तो रखेंगे लेकिन थोड़ी दूरी भी रखेंगे. साथ ही वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी सहायता को भी प्रभावित करना चाहेंगे.
उन्होंने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान 10 साल से अधिक समय से एक दूसरे को सहयोग कर रहे हैं और दोनों में से कोई भी पक्ष इस गठबंधन को तोड़ना बर्दाश्त नहीं कर सकता.
फू ने कहा ‘इस्लामाबाद के लिए वाशिंगटन की मदद बहुत महत्वपूर्ण है, खास कर घरेलू मोर्चे पर गंभीर आर्थिक और सुरक्षा हालात को देखते हुए.
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