इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने अफगानिस्तान मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आमंत्रित किया है. यह एक ऐसा कदम है जो दोनों पडोसी देशों को अपने तनावपूर्ण रिश्तों में सुधार का एक मौका प्रदान कर सकता है. ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन का आयोजन सात-आठ दिसंबर को किया जाएगा जिसमें अजरबैजान, चीन, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस, सउदी अरब, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान तथा संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है. पाकिस्तान ने सुषमा स्वराज को भी एक निमंत्रण भेजा है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने यह जानकारी दी है.
दैनिक ने विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा, ‘अफगानिस्तान पर पाकिस्तान की मेजबानी में होने वाले ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में भारत तथा 25 अन्य देशों को एक औपचारिक आमंत्रण भेजा गया है.’ एक भारतीय राजनयिक ने नाम गुप्त रखते हुए पुष्टि की कि नयी दिल्ली को निमंत्रण मिल गया है लेकिन विदेश मंत्री के इस सम्मेलन में भाग लेने के बारे में अभी फैसला किया जाना बाकी है.
उन्होंने कहा कि सम्मेलन के महत्व को देखते हुए मंत्री की अध्यक्षता में भारत द्वारा एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजे जाने की संभावना है. यह सम्मेलन दोनों देशों को अपने संबंधों में हालिया मनमुटाव के बाद वार्ता के लिए प्रक्रिया को शुरू करने का मौका देगा. इस्लामाबाद द्वारा प्रस्तावित एजेंडे तथा कश्मीरी अलगाववादियों और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज के बीच प्रस्तावित बैठक को लेकर पैदा हुए मतभेदों के चलते एनएसए स्तरीय वार्ता रद्द हो गयी थी और उसके बाद से भारत पाक संबंधों में तनाव चल रहा है.
भारत ने इसके साथ ही पाकिस्तान पर बार बार संघर्षविराम उल्लंघन करने और जम्मू कश्मीर में हालिया आतंकवादी घटनाओं में उसका हाथ होने का आरोप लगाया है. प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके भारतीय समकक्ष नरेन्द्र मोदी न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सम्मेलन के दौरान एक ही होटल में ठहरे थे लेकिन शिखर सम्मेलन से इतर उनके बीच मुलाकात नहीं हुई. मोदी और शरीफ के बीच पिछली मुलाकात जुलाई में ब्रिक्स और एससीओ शिखर बैठकों से अलग रूस के उफा में हुई थी.
ऐसा माना समझा जा रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी बिहार चुनाव के बाद पाकिस्तान के साथ वार्ता के लिए तैयार हो सकते हैं जहां उनकी पार्टी पिछले साल कश्मीर में मिली चुनावी सफलता को नहीं दोहरा पायी. दैनिक ने विश्लेषकों के हवाले से यह रिपोर्ट दी है. अफगान सम्मेलन में अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर विचार विमर्श होगा जिसमें मुख्य रूप से युद्ध से तबाह देश की अर्थव्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.