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अमेरिका-पाकिस्तान सुरक्षा संबंधों में कोई बदलाव नहीं

वाशिंगटन : अमेरिका और पाकिस्तान के आपसी सुरक्षा संबंधों में कोई बदलाव नहीं आया है क्योंकि पाकिस्तान अमेरिका से अरबों डॉलर की आर्थिक मदद और कई टन सैन्य उपकरण लेने के बावजूद छद्म युद्ध करने वाले संगठनों को संरक्षण देना अब भी जारी रखे हुए है. यह बात दक्षिण एशिया मामलों के एक शीर्ष अमेरिकी […]

वाशिंगटन : अमेरिका और पाकिस्तान के आपसी सुरक्षा संबंधों में कोई बदलाव नहीं आया है क्योंकि पाकिस्तान अमेरिका से अरबों डॉलर की आर्थिक मदद और कई टन सैन्य उपकरण लेने के बावजूद छद्म युद्ध करने वाले संगठनों को संरक्षण देना अब भी जारी रखे हुए है. यह बात दक्षिण एशिया मामलों के एक शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञ ने कही है. वुड्रो विल्सन इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्कॉलर्स में दक्षिण एवं दक्षिणपूर्व एशिया के मामलों के वरिष्ठ एसोसिएट माइकल कुगेलमैन ने ‘द डिप्लोमैट’ पत्रिका में एक लेख में लिखा, ‘पाकिस्तान अरबों डॉलर की अमेरिकी आर्थिक मदद और कई टन सैन्य उपकरण लेता है. इसके बावजूद वह अमेरिकियों, अफगानिस्तानियों और भारतीयों को आतंकित करने वाले ऐसे समूहों को संरक्षण दे रहा है जो छद्म युद्ध करते हैं.’

कुगेलमैन का यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ पांच दिवसीय यात्रा पर यहां आये हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘इस बेकार व्यवस्था की वजह क्या है? इसकी एक सीधी सी वजह है. यह वजह एक ऐसी धारणा है, जो मानती है कि पाकिस्तान को मदद देने से, आने वाले समय में वह अमेरिकी हितों के अनुरुप कार्य करने के लिए बाध्य होगा.’ गेलमैन ने कहा कि जैसा कि हुसैन हक्कानी की किताब ‘मैग्नीफिसेंट डिलूशन्स’ स्पष्ट करती है कि अमेरिकी अधिकारी आंख मूंद कर इस उम्मीद में मदद दिये जा रहे हैं कि परिणाम अच्छे होंगे.

उन्होंने लिखा, ‘यह रुख बिल्कुल गलत दिशा में है. अमेरिकी मदद के जरिए वाशिंगटन को पाकिस्तान से कुछ हासिल नहीं होने वाला है. इसके अलावा आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका और पाकिस्तानी हित बेहद अलग-अलग हैं.’ उन्होंने तर्क दिया कि अमेरिका के लिए हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा खतरनाक समूह हैं, जिन पर लगाम लगायी जानी चाहिए. पाकिस्तान के लिए ये समूह उपयोगी संपत्ति हैं क्योंकि ये ‘प्रमुख शत्रु’ भारत को कमजोर करते हैं. कुगेलमैन ने कहा, ‘अमेरिकी उद्देश्यों और हितों के खिलाफ काम करने वाले देश के साथ वाशिंगटन के इस सतत संबंध का एक अन्य संभावित कारण क्या है? भय.

अमेरिका परमाणु हथियारों से संपन्न एक अस्थिर देश के साथ बुरे संबंध के बजाय अच्छे संबंध रखना ज्यादा पसंद करता है.’ विशेषज्ञ के अनुसार, जनरल राहील शरीफ की बैठकों में अफगानिस्तान के बारे में व्यापक चर्चाएं होंगी. इस बात पर भी चर्चा होगी कि पाकिस्तान किस तरह से तालिबान को वार्ता मेज पर वापस लाने में मदद कर सकता है. हालांकि इसकी ज्यादा संभावना नहीं है लेकिन वे लोग पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को सीमित करने के एक समझौते पर भी संभवत: बात करेंगे. शरीफ नये सैन्य सहयोग के लिए नये सिरे से वकालत करेंगे. कुगेलमैन ने कहा, ‘अमेरिका फिर से पाकिस्तान को आतंकियों के साथ अपने रिश्ते खत्म करने के लिए कहेगा और इस सब के दौरान जनरल शरीफ का वाशिंगटन में ऐसा ही शानदार स्वागत होगा, जैसा कि उनकी पिछली वाशिंगटन यात्रा के दौरान हुआ था.’

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