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ISIS के खिलाफ संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद ने पारित किया प्रस्‍ताव

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने फ्रांस द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया जिसमें सभी देशों से इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों और अन्य कट्टरपंथी समूहों को और हमले करने से रोकने के लिए अपने प्रयास दोगुने करने तथा इस संबंध में समन्वित कार्रवाई की अपील की गयी है. प्रस्ताव में […]

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने फ्रांस द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया जिसमें सभी देशों से इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों और अन्य कट्टरपंथी समूहों को और हमले करने से रोकने के लिए अपने प्रयास दोगुने करने तथा इस संबंध में समन्वित कार्रवाई की अपील की गयी है. प्रस्ताव में कहा गया है कि इस्लामिक स्टेट संगठन ‘अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए एक वैश्विक एवं अभूतपूर्व खतरा है.’ इस प्रस्ताव में इस अभूतपूर्व खतरे से सभी माध्यमों का उपयोग करके निपटने को लेकर परिषद की प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी है.’ संयुक्त राष्ट्र की सबसे शक्तिशाली इकाई ने वर्ष 1999 के बाद से आतंकवाद के संबंध में यह 14वां प्रस्ताव पारित किया है.

यह प्रस्ताव ऐसे समय में पारित किया गया है जब एक सप्ताह पहले हिंसक कट्टरपंथियों ने पेरिस में गोलीबारी और बम हमले किये थे जिनमें 130 लोग मारे गये थे. इस्लामिक स्टेट समूह ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है. प्रस्तावित पारित किये जाने के आठ दिन पहले बेरुत में भी दोहरा आत्मघाती हमला हुआ था जिसमें 43 लोग मारे गये थे. तीन सप्ताह पूर्व एक रूसी विमान पर हमला किया गया था और वह मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप में गिरा था. इस घटना में विमान में सवार सभी 224 लोग मारे गये थे. इन दोनों हमलों की जिम्मेदारी भी आईएस ने ली है.

यह प्रस्ताव सॉसे, ट्यूनीशिया, अंकारा और तुर्की में इस साल इस्लामिक स्टेट द्वारा किये गये इन हमलों की और पूर्व में भी हुए ‘भयानक आतंकवादी हमलों’ की बेहद कडे शब्दों में स्पष्ट रूप से आलोचना करता है.’ प्रस्ताव में इस्लामिक स्टेट समूह और सभी अन्य हिंसक अतिवादी समूहों के खिलाफ ‘सभी आवश्यक कदम उठाने की क्षमता रखने वाले संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों से अपील की गयी है कि वे ‘उन सभी सुरक्षित पनाहगाहों को नष्ट करें जो आतंकवादियों ने इराक और सीरिया के बडे हिस्सों में स्थापित किए हैं.’

हालांकि यह प्रस्ताव सैन्य कार्रवाई का अधिकार नहीं देता है क्योंकि यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र चार्टर के चैप्टर सात के तहत तैयार नहीं किया गया है. चैप्टर सात ही एकमात्र ऐसा तरीका है, जिसके माध्यम से संयुक्त राष्ट्र बलों के उपयोग को हरी झंडी दे सकता है. प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों से अपील की गयी है कि वे ‘इराक और सीरिया में विदेशी आतंकवादी लडाकों के प्रवाह को रोकने के अपने प्रयासों को तेज करें और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकें और दबाएं.’ अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सितंबर 2014 में सुरक्षा परिषद की एक बैठक की अध्यक्षता की थी जिसमें सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था. इस प्रस्ताव में सभी देशों से इस्लामिक स्टेट समूह जैसे आतंकवादी संगठनों में शामिल होने की तैयारी कर रहे विदेशी लडाकों की भर्ती और उनके आवागमन को रोकने की अपील की गयी थी.

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