शक्ति दर्शाने वाला होना चाहिए भारत का सैन्य संयम

वाशिंगटन : भारत की सरकारों द्वारा पाकिस्तान की ओर से भड़काउ कार्रवाई के बावजूद ‘‘स्व सैन्य संयम’’ की नीति अपनाने का समर्थन करते हुए अमेरिका के एक शीर्ष विश्लेषक ने कहा है कि अब से भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह इस तरह से काम नहीं करे जिससे उसे कमजोर समझा जाए. जॉर्ज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2013 12:03 PM

वाशिंगटन : भारत की सरकारों द्वारा पाकिस्तान की ओर से भड़काउ कार्रवाई के बावजूद ‘‘स्व सैन्य संयम’’ की नीति अपनाने का समर्थन करते हुए अमेरिका के एक शीर्ष विश्लेषक ने कहा है कि अब से भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह इस तरह से काम नहीं करे जिससे उसे कमजोर समझा जाए.

जॉर्ज पेर्कोविच ने कल कहा, ‘‘आतंकवाद से लड़ने के लिए सैन्य शक्ति का इस्तेमाल खास तौर पर एक आकर्षक समाधान है क्योंकि इसे त्वरित रुप से अंजाम दिया जा सकता है. लेकिन इससे त्वरित अति प्रतिक्रिया भी भड़क सकती है.’’पेर्कोविच ने कहा, ‘‘यह एक अन्य कारण है जिसकी वजह से भारत की अहिंसात्मक रणनीति की परंपरा, हालांकि अपूर्ण, कम जोखिम वाली और परमाणु वातावरण में आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए सैन्य रणनीति के मुकाबले दीर्घकालिक सफलता में अधिक सहायक है.’’

पेर्कोविच ने ‘रॉबर्ट मैक्नामरा लेक्चर ऑन वार एंड पीस’ संबोधन में भारत के भीतर पाकिस्तान से हो रहे आतंकी हमलों पर सैन्य प्रतिक्रिया नहीं देने का श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह की सरकारों को दिया.

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री वाजपेयी और सिंह सहित कुछ भारतीय नेताओं ने आतंकी हमलों के मद्देनजर स्व सैन्य संयम की तुलनात्मक गंभीरता को समझा है. उन्होंने उस हिंसा को समझा है.’’पेर्कोविच कार्नेजी एंपॉवरमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में अध्ययन मामलों के उपाध्यक्ष तथा इसके अप्रसार कार्यक्रम के निदेशक भी हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘इसकी पूर्ण शक्ति अजिर्त करने के वास्ते शक्ति स्व संयम की नीति के लिए भारत :या किसी भी देश: को इस तरह काम नहीं करना चाहिए जिससे उसे दुर्बल समझा जाए. किसी को भी शक्ति के साथ एवं प्रभावी ढंग से कार्रवाई करने का वास्तविक विकल्प रखना चाहिए, और फिर वह उच्च स्व संयम तथा नैतिक रणनीतिक ज्ञान से उस विकल्प को स्थगित रखे जिसे विरोधियों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मानना पड़ेगा.’’

विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘इसलिए भारत को अभी भी राष्ट्रीय रक्षा के इसके प्रबंधन में सुधार तथा सूचना, टोह और आक्रमण क्षमताएं हासिल करने की आवश्यकता है जिसे पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसे अभी भी सेना, नौसेना और वायु सेना की क्षमताओं का संयोजन कायम रखने की जरुरत होगी जिसकी पाकिस्तान द्वारा कोई बड़ा पारंपरिक युद्ध शुरु किए जाने की स्थिति में आवश्यकता होगी. भारत को किसी अपार बढ़त का मुकाबला करने के लिए विश्वसनीय और टिकने लायक परमाणु बल की जरुरत भी होगी.’’

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