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सिंगापुर के प्रधानमंत्री ने सिख समुदाय की सराहना की

सिंगापुर : सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने देश के सिख समुदाय की सराहना करते हुए कहा कि सरकार कई तरीकों से उनकी सहायता करती रहेगी. उन्होंने कल सिख समुदाय द्वारा आयोजित एक रात्रिभोज में कहा कि सिंगापुर सरकार कई तरीकों से सिख समुदाय की सहायता करती रही है और करती रहेगी. सरकार पहले […]

सिंगापुर : सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने देश के सिख समुदाय की सराहना करते हुए कहा कि सरकार कई तरीकों से उनकी सहायता करती रहेगी. उन्होंने कल सिख समुदाय द्वारा आयोजित एक रात्रिभोज में कहा कि सिंगापुर सरकार कई तरीकों से सिख समुदाय की सहायता करती रही है और करती रहेगी. सरकार पहले ही पब्लिक स्कूलों में पंजाबी को दूसरी भाषा के तौर पर मान्यता दे चुकी है और पंजाबी के शिक्षण की सुविधा के लिए शिक्षा मंत्रालय के माध्यम से सिंगापुर सिख फाउंडेशन की स्थापना में मदद भी की है. सरकार ने समुदाय की जरुरतों पर ध्यान देने के लिए सेंट्रल सिख गुरुद्वारा बोर्ड की स्थापना की प्रक्रिया शुरू की है और धनराशि जुटाने में मदद के लिए सिख वेलफेयर काउंसिल को सार्वजनिक चरित्र के संस्थान का दर्जा दिया है.

ली ने कहा, ‘मुझे यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि इन गतिविधियों की मांग भी बढ रही है. मुझे पता है कि आपके पास जगह की कमी की समस्या है. समुदाय के प्रति हमारे निरंतर समर्थन को बरकरार रखते हुए हम यह देखने के लिए सिख समुदाय की बढती जरुरतों पर सकारात्मक रूप से ध्यान देंगे कि हम कैसे मदद दे सकते हैं.’ ली ने कहा कि सिख सबसे पहले देश में 1881 में आये और पुलिस बल की रीढ बन गये. प्रधानमंत्री ने गुरुद्वारों में भोजन परोसने और लोगों को आश्रय देने की सिख परंपरा को रेखांकित करते हुए समुदाय से अपने धर्म में सन्निहित स्वयं सेवा एवं आशावाद के मूल्यों को बनाए रखने की अपील की.

उन्होंने कहा कि सिख समुदाय ने अंतर नस्लीय, अंतर धार्मिक विश्वास मंडलों में हिस्सा लेकर और साथ ही एक अंतर धार्मिक संगठन के तौर पर धार्मिक सद्भाव और बहुसंस्कृतिवाद को बढावा दिया. ली ने इस मौके पर सिख समुदाय से जुडी ‘सिंगापुर ऐट 50-50 सिख्स एंड देयर कंटरीब्यूशन’ किताब का विमोचन किया जिसमें देश की आजादी के 50 साल पूरे होने के साथ 50 प्रसिद्ध सिखों के देश के विकास में योगदान की चर्चा की गयी है. सिंगापुर सरकार ने भारतीय छात्रों को दूसरी भाषा के तौर पर उनकी मातृ भाषा (उर्दू, बांग्ला, गुजराती, हिन्दी और पंजाबी) अपनाने की अनुमति दी है.

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