‘गुपचुप” मुलाकात कर मोदी-शरीफ ने दिखायी कायरता : इमरान खान
वॉशिंगटन : पाकिस्तानी क्रिकेटर और अब राजनीति में उतर चुके कर रहे इमरान खान ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ ने पिछले साल काठमांडो में दक्षेस शिखर सम्मेलन में एक ‘गुपचुप’ मुलाकात कर ‘कायरतापूर्ण’ काम किया. हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने ऐसी किसी मुलाकात से इंकार किया है. पाकिस्तान तहरीक ए इन्साफ […]
वॉशिंगटन : पाकिस्तानी क्रिकेटर और अब राजनीति में उतर चुके कर रहे इमरान खान ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ ने पिछले साल काठमांडो में दक्षेस शिखर सम्मेलन में एक ‘गुपचुप’ मुलाकात कर ‘कायरतापूर्ण’ काम किया. हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने ऐसी किसी मुलाकात से इंकार किया है. पाकिस्तान तहरीक ए इन्साफ के प्रमुख इमरान ने कहा ‘एक नेता साहस दिखाता है. वह किसी से नहीं डरता. नवाज शरीफ और नरेंद्र मोदी ने गुपचुप मुलाकात की. नेताओं को गुपचुप बैठकें करने की कोई जरुरत नहीं होती. सच तो यह है कि शरीफ (पाकिस्तानी) प्रतिष्ठान से और मोदी भारत में अतिवादियों से डरते हैं. इसीलिए उन्होंने चुपचाप एक मुलाकात की.’
इमरान ने यह भी कहा कि ऐसा करके दोनों नेताओं ने ‘कायरतापूर्ण’ काम किया और विश्वसनीयता खो दी. एक संवाददाता सम्मेलन में इमरान खान ने शरीफ और मोदी को ‘दूरदर्शिता के अभाव वाले नेता’ भी कहा. इमरान के बयान पर शरीफ के प्रवक्ता मुसद्दक मलिक ने कहा ‘इमरान खान को शरीफ के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए शर्म आनी चाहिए.’ उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बैठक नहीं हुई. इमरान ने कहा ‘मोदी को गरीबी से लडने का भरपूर मौका मिला है लेकिन उन्होंने दूसरा रास्ता चुना है जो दुर्भाग्यपूर्ण है.’
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान में द्विपक्षीय व्यापार से लाभान्वित होने की अपार संभावना है. उन्होंने यूरोपीय संघ का उदाहरण दिया जहां सीमाओं की अवधारणा महत्वपूर्ण नहीं है. इमरान ने कहा कि उप महाद्वीप दुनिया के सबसे गरीब क्षेत्रों में से एक है इसलिए नेताओं को अपनी प्राथमिकताओं की समीक्षा करने की जरुरत है. उन्होंने कहा ‘पाकिस्तान और भारत में संबंधों में सुधार के माध्यम से और गरीबी खत्म करने तथा कश्मीर मुद्दे जैसे विवादों के हल के उद्देश्य से नीतियों के कार्यान्वयन के माध्यम से हमारे नेता दोनों देशों में शांति स्थापित कर सकते हैं. प्रतिरोध करने वाले कुछ अतिवादी हमेशा ही प्रतिरोध करते रहेंगे और उन्हें जनता की राय के जरिये हाशिये पर डालने की जरुरत है.’