यूरोप में शरणार्थी संकट और गहरा गया है. शरणार्थियो की संख्या लगातार बढ़ रही है यह संख्या दस लाख के पार हो गयी है. यूरोपीय देश पहले ही वैश्विक मंदी से जूझ रहे हैं. ऐसे में शरणार्थियों ने इसकी परेशानी और बढ़ा दी है. शऱणार्थियों के साथ आतंकियों के प्रवेश का भी खतरा यूरोप पर मंडरा रहा है.
यूरोपीय देश, ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, साइप्रस, इटली और स्पेन पर न सिर्फ आर्थिक संकट की स्थिति पैदा कर दी है, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और सामुदायिकता से संबंधित समस्याएं खड़ी हो गयीहैं. शरणार्थियों की लगातार बढ़ती संख्या ने यूरोपीय देशों की आपसी एकता को भी खतरे में डाल दिया है इन देशों के बीच इन शरणार्थियों के पुनर्वास को लेकर भी मतभेद साफ नजर आ रहा है.
एक अंतरराष्ट्रीय संगठन की रिपोर्ट के अनुसार शरणार्थियों की संख्या में पिछले साल के मुताबिक चार गुणा इजाफा हुआ है. इन आकड़ों से साफ है कि समस्या हल होने के बजाय और गंभीर होती जा रही है. कई शरणार्थी कोशिश में है कि उन्हें समृद्ध देश में शरण मिले, ताकि उनका भविष्य बेहतर हो. शरणार्थियों के बढ़ते खतरे के साथ कई तरह की परेशानियां आ रही है.
यूरोपीय देशों में आतंकियों के आम नागरिक बनकर प्रवेश करने का खतरा भी बढ़ा है, जिससे संबंधित देश भी आतंकी हमले का शिकार हो सकते हैं.जो देश शरणार्थियों को शरण दे रहे हैं उन्हें इसका विशेष ध्यान रखना होगा कि आतंकी घुसपैठ ना करें. कई देशों ने शरणार्थियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. सीमा पर लगातार नजर रखी जा रही है लेकिन हालात नियंत्रण में नहीं है. एक देश की सीमा को पारकर दूसरे देश की सीमा तक लोगों को पहुंचाने का एक व्यापार शुरू हो चुका है. आतंकी हमले से परेशान परिवार अपने लिए सुरक्षित ठिकानों की तलाश में है. ऐसे में दूसरे देशों पर शरणार्थियों का संकट बढ़ रहा है.
शरणार्थी संकट की बढ़ती समस्या को देखते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति ने साफ कर दिया कि अब और यूरोपीय देश शरणार्थियों को आने की इजाजत नहीं दे सकते. नवंबर की शुरुआत में 160,000 शरणार्थियों को सदस्य देशों के बीच बांटे जाने के विवादित मुद्दे पर हुई यूरोपीय संघ की बैठक से ठीक पहले लक्जमबर्ग के विदेश मंत्री ज्यां एसेलबोर्न ने ‘यूरोप में बेहद जटिल स्थिति बनने’ के प्रति चेतावनी दी थी और कहा था कि शरणार्थी संकट पर यूरोप फिर से बंट सकता है.
इससे साफ है कि अब यूरोपीय देश इस मुद्दे को लेकर बंटता नजर आ रहा है. यह समस्या सिर्फ शरण देने वाले देशों के लिए नहीं है, बल्कि वैसे देश भी इसकी जद में आ रहे हैं जो रास्ते में पड़ते हैं. जैसे तुर्की को सुरक्षा से लेकर आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. शरणार्थियों की बढ़ती संख्या यूरोपीय देश के लिए चिंता का विषय है और इसका हल भी उन्हें साथ में मिलकर निकालना होगा. संभव है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह पहली बार है जब शरणार्थियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन गयी है.