मधेसियों का आरोप, जबरन पेश किया गया संविधान संशोधन विधेयक

काठमांडो : नेपाल के शीर्ष मधेसी नेताओं ने सरकार और प्रदर्शनकारी समूह के बीच मध्यस्थता कर रहे माओवादी सुप्रीमो प्रचंड को आज बताया कि संविधान संशोधन प्रस्ताव ‘बगैर उनकी सहमति के’ संसद में ‘‘जबरन” पेश कर दिया गया. यूसीपीएन (माओवादी) के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने प्रदर्शन कर रहे यूनाइटेड डेमोक्रेटिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2015 10:15 PM

काठमांडो : नेपाल के शीर्ष मधेसी नेताओं ने सरकार और प्रदर्शनकारी समूह के बीच मध्यस्थता कर रहे माओवादी सुप्रीमो प्रचंड को आज बताया कि संविधान संशोधन प्रस्ताव ‘बगैर उनकी सहमति के’ संसद में ‘‘जबरन” पेश कर दिया गया. यूसीपीएन (माओवादी) के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने प्रदर्शन कर रहे यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट के नेता उपेंद्र यादव और महंत ठाकुर से मुलाकात की.

प्रचंड ने मधेसी नेताओं से कहा कि वे चार महीने से जारी अपना प्रदर्शन और भारत की सीमा से सटे प्रमुख व्यापार बिंदुओं पर अपनी नाकेबंदी खत्म कर दें क्योंकि सरकार ने मधेसियों की समस्या के समाधान के लिए संविधान संशोधन प्रस्ताव पहले ही आगे बढ़ा दिया है. गौरतलब है कि भारतीय मूल के लोगों को नेपाल में मधेसी कहा जाता है.

हालांकि, मधेसी नेताओं ने प्रचंड से कहा कि यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट प्रमुख पार्टियों की ओर से आगे बढाए गए संविधान संशोधन प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि ‘बगैर उनकी सहमति के’ संसद में उसे ‘‘जबरन” पेश किया गया है. फेडरल सोशलिस्ट पार्टी के भी अध्यक्ष यादव ने कहा, ‘‘हम प्रस्ताव पर तभी सहमत होंगे जब सरकार हमारी मांगें मानेगी, जिसमें प्रांतीय सीमाओं का फिर से रेखांकन भी शामिल है. लेकिन मौजूदा हालात में संशोधन प्रस्ताव हमें मंजूर नहीं है.”

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