लंदन:ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन ने कड़े नियम का जिक्र करते हुए कहा कि अब ब्रिटेन में रहने के लिए मुस्लिम महिलाओं को अंग्रेजी सीखनी होगी. उन्होंने कहा कि हर साल होने वाली अंग्रेजी की परीक्षा पास करने के बाद ही मुस्लिम महिलाएं ब्रिटेन में रह सकती हैं. कैमरुन ने विदेशी मुस्लिम महिलाओं के संदर्भ में ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि आमतौर पर ब्रिटेन में जीवनसाथी वीजा के तहत रहने आयी महिलाओं को अंग्रेजी की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन जैसे देश में रहने के लिए अच्छी अंग्रेजी जानना आवश्यक है.उन्होंनेयहसाफसंकेतदियाहैकिजोमुसलिममहिलाएंअंगरेजीनहींसीखसकेंगी,उनके इंग्लैंड में रहने व बसने की संभावनापर असरपड़ेगा.
अंगरेजी नहीं सीखने पर देश छोड़ना होगा
एक इंटरव्यू में कैमरुन ने कहा कि जो महिलाएं अंग्रेजी नहीं सीखेंगी उन्हेंदेश छोड़कर जाना होगा.कैमरुनके अनुसार कमजोर अंग्रेजी के कारण लोगों के कुख्यात आतंकी संगठन आइएसआइएस के संदेशों से प्रभावित होने की संभावना रहती है.ब्रिटेन में ऐसा माना जाता हैकि अंगरेजी नहीं जानने वाले मुसलिम महिलाएं घरों में सीमटीरहती हैं, वे लोगों से मिलना जुलना कम करतीहैं. कई बार उनकी जल्दी शादी करवा दी जाती है. ऐसे मेंआइएसआइएस से उनके प्रभावित होने का खतरा रहता है. कैमरुन ने कहा कि यह नियम उन माताओं पर भी लागू हो सकता है जो यहां आकर बसीं हैं और अब उनकी संतानें हो चुकी हैं. कैमरुन ने कहा कि ढाई साल बाद ऐसे लोगों को एक टेस्ट से गुजरना होगा जो उनकी अंग्रेजी की परख करेगा कि उनमें कितना सुधार हुआ है. अगर इस अवधि में वेअंगरेजी नहीं सीख पायीं, तोशायद उन्हें ब्रिटेन में रहने से मना कर दिया जायेगा.
40 हजार मुस्लिम महिलाओं का अंगरेजी ज्ञान कमजोर
गौरतलब है कि इस समय ब्रिटेन में दो लाख के करीब मुस्लिम महिलाएं रह रहीं हैं. उनमें करीब 40 हजार महिलाओें को या तो अंग्रेजी का ज्ञान कम है या बिल्कुल अंग्रेजी नहीं आती. ब्रिटेन में 2.7 मिलियन आबादी मुस्लिम समुदाय की है. कैमरुन के इस बयान की मुस्लिम महिलाओं के द्वारा निंदा की जा रही है. डेविड कैमरुन ने मुस्लिम महिलाओं को अंग्रेजी सिखाने पर 3 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च करने की सोमवार को घोषणा की.
दो करोड़पाउंडका बजट
ब्रिटिश प्रधानमंत्री नेदेश की आतंरिक सुरक्षा के मद्देनजर भाषाईज्ञान को अनिवार्य बनाने के लिए दोकरोड़ पाउंड का प्रावधान किया है. कैमरुन अपने इस योजना को हर हाल में अपली जामा पहनाना चाहते हैं. हालांकि उनकी पूर्व कैबिनेट सहयोगी नेरोनेस वारसी ने कहा है कि आखिर औरत के लिएही यह अनिवार्यता क्यों? कई मुसलिम पुरुष भी तो अच्छी अंगरेजी नहीं जानते हैं.अल्पसंख्यक संगठनोंमेंकैमरुन के इस एलानकी मिलीजुली प्रतिक्रिया आयी है. हालांकि बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, रमादानफाउंडेशन इससे नाखुश है.