नयी दिल्ली : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आखिरकार मान लिया है कि करगिल पर कब्जा करने का प्रयास पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पीठ में छूरा घोपने जैसा काम था. फरवरी 1999 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान का दौरा कर भारत-पाकिस्तान संबंध सुधारने का भरसक प्रयास किया था. लेकिन उस प्रयास को उस समय गहरा झटका लगा जब पाकिस्तानी रेंजर्स ने करगिल की चौकी पर हमला कर कब्जा जमाने की कोशिश की.
उस समय नवाज शरीफ और अटल बिहारी पाजपेयी के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये थे. 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का अचानक दौरा कर दोनों देशों के संबंध को फिर से ठीक करने का प्रयास किया. लेकिन यह प्रयास भी विफल रहा. पठानकोट एयरबेस पर हमले में शामिल आतंकियों के पाकिस्तार से तार जुड़े होने के सबूत मिले और फिर से भारत की पीठ में छुरा घोपा गया. इतना ही नहीं 2008 मुंबई हमले में एक आरोपी डेविड हेडली की गवाही में कई ऐसे बात सामने आये हैं जिसमें पाकिस्तान का मुंबई हमले से सीधा संबंध उजागर हुए हैं.
नवाज ने खुद कबूला पीठ में छुरा घोपने की बात
मुजफ्फराबाद में एक रैली को संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने कहा कि लाहौर घोषणापत्र जारी करने के दौरान वाजपेयी ने मुझसे कहा था कि कारगिल पर कब्जा करने की कोशिश के जरिए उनकी पीठ में छुरा घोपने का काम किया गया है. नवाज ने माना कि वाजपेयी ने बिलकुल ठीक कहा था. मैं भी इस बात को मानता हूं कि निश्चित रूप से उस समय वाजपेयी को धोखा दिया गया था. शरीफ ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री को उस समय धोखा दिया गया जब उनके प्रयास से दोनो देशों के संबंध में सुधार हो रहे थे. नवाज ने भारत और पाकिस्तान के लोगों के जीवन और रहन सहन को एक समान बताते हुए कहा कि ‘भारत और पाकिस्तान के लोग एक जैसे ही हैं. बस दोनों देशों के बीच एक सरहद है. नवाज ने कहा कि हम दोनों ही आलू गोश्त का लुत्फ एक ही अंदाज में उठाते हैं.