पेरिस : यूरोप और रूस मिलकर सोमवार को एक ऐसा मानवरहित अंतरिक्ष यान प्रक्षेपित करने जा रहे हैं जो मंगल पर जीवन की खोज करेगा. यह यान मंगल ग्रह के वातावरण में गैसों की मौजूदगी के सबूत ढूंढने की कोशिश करेगा और यह पता लगाएगा कि क्या वहां कभी जीवन था या अभी भी वहां जीवन है? दो चरणीय मंगल खोज अभियान के पहले चरण ‘एक्सोमार्स 2016′ में रूस के प्रोटोन राकेट से सोमवार को अंतरराष्ट्रीय समयानुसार नौ बजकर 31 मिनट पर आर्बिटर को कजाखिस्तान प्रक्षेपण केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा. बेहद उच्च तकनीकी उपकरणों से लैस ट्रेस गैस आर्बिटर या टीजीओ 308 मिलियन मील की दूरी तय कर 19 अक्तूबर को लाल ग्रह पर पहुंच जाना चाहिए.
इसका मुख्य कार्य मंगल के फोटो लेना और इसकी हवा का विश्लेषण करना है. टीजीओ अपने साथ एक मार्स लैंडर ‘श्चियापारेली’ को भी लेकर जाएगा. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘राकेट तैयार : हमारा एक्सोमार्स 2016 मिशन प्रक्षेपण स्थल पर तैयार है.’ एक्सोमार्स ईएसए और रुस की रोसकोसमोस अंतरिक्ष एजेंसी के बीच एक दो स्तरीय सहयोग है. इसके दूसरे चरण में वर्ष 2018 में मार्स रोवर को प्रक्षेपित किया जाना है लेकिन धन की कमी के चलते इसमें देरी होने की संभावना है.
ईएसए के एक दस्तावेज के अनुसार, ‘लेकिन पहला चरण योजना के अनुरुप तथा बडी उम्मीदों के साथ आगे बढ रहा है. यह पता लगाएगा कि मंगल पर आज भी ‘जीवन’ है? ‘इसका मुख्य लक्ष्य मिथेन गैस का विश्लेषण करना है और पिछले मंगल अभियानों में भी इसकी मौजूदगी का पता लगाने की कोशिश की गयी थी. एक्सोमार्स परियोजना से जुडे वैज्ञानिक जार्ज वागो के अनुसार, ‘टीजीओ अंतरिक्ष में एक बडी नाक की तरह होगा.’ ईएसए कहता है कि मीथेन सामान्य तौर पर पराबैंगनी विकिरण के चलते कुछ ही सैंकडों साल में नष्ट हो जाती है जो मंगल के मामले में भी लागू होता है और इस प्रकार ‘आज भी इसका उत्पादन होना चाहिए.’ सवाल यह है : किसके द्वारा?
मिथेन को एक जैविक प्रक्रिया द्वारा उत्पादित किया जाता है जैसे कि सूक्ष्मजीव आर्गेनिक तत्वों को विनष्ट करते हैं या भूगर्भीय परिस्थितियां जैसे कि सतह के नीचे गर्म तरल जल में होने वाली रासायनिक क्रिया. ईएसए ने बताया कि टीजीओ अधिक विस्तार से मार्स के मिथेन का विश्लेषण करेगा और साथ ही इसके संभावित मूल को निर्धारित करने का प्रयास करेगा. एक्सोमार्स 2016 का एक अन्य महत्वपूर्ण तत्व 19वीं सदी के इतालवी अंतरिक्ष वैज्ञानिक के नाम पर तय किया गया श्चियापरेली मिशन होगा. इस इतालवी अंतरिक्ष यात्री ने सबसे पहले मंगल पर ‘नहरों’ की खोज की थी जिससे एक बार को लोगों को यह यकीन हो गया था कि हमारे पडोसी ग्रह पर बुद्धिमान जीवन है.