प्लूटो की सतह पर नासा ने पाया बडा सा ‘बाइट मार्क”

वाशिंगटन : नासा के न्यू हॉराइजंस मिशन के वैज्ञानिकों ने प्लूटो की सतह पर एक निशान पाया है जो देखने में ‘दांत के काटने से बने विशाल निशान’ (बाइट मार्क) जैसा प्रतीत होता है. शोधार्थियों का सुझाव है कि यह शायद ठोस पदार्थ के गैस में तब्दील होने के कारण उभरा है. नासा ने कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2016 4:52 PM

वाशिंगटन : नासा के न्यू हॉराइजंस मिशन के वैज्ञानिकों ने प्लूटो की सतह पर एक निशान पाया है जो देखने में ‘दांत के काटने से बने विशाल निशान’ (बाइट मार्क) जैसा प्रतीत होता है. शोधार्थियों का सुझाव है कि यह शायद ठोस पदार्थ के गैस में तब्दील होने के कारण उभरा है. नासा ने कहा है कि मीथेन की बर्फ से भरी प्लूटो की पूरी सतह संभवत: इस प्रक्रिया के माध्यम से वातावरण में जा रही है जिससे नीचे दबी पानी की बर्फ की परत प्रकट हो रही है. पीरी प्लानिशिया के मैदान के पास एक दांतेदार सीधी ढाल या चट्टानों की दीवार है जिसे पीरी रुपेस सीमा के तौर पर जाना जाता है.

यह चट्टाने अलग-अलग स्थानों पर टूटी हुई हैं और पूरे समतल पर यह तिरछे रूप में फैले हुए हैं जिस कारण से यह दांत से काटने के निशान के तौर पर दिखाई देते हैं. न्यू हॉराइजंस अंतरिक्ष यान के राल्फ-लाइनियर इटैलन इमेजिंग स्पेक्ट्रल ऐरे (एलईआईएसए) द्वारा मिले आंकडों से पता चलता है कि पीरी रुपेस के दक्षिण में मीथेन का बडा भंडार है. इन्हीं आंकडों से यह भी पता चलता है कि पीरी प्लानिशिया की सतह पर उच्च पठार से ज्यादा पानी की बर्फ है जो इस बात की ओर इशारा करता है कि पीरी प्लानिशिया की सतह का निर्माण पानी की बर्फ से हुआ जो मीथेन की बर्फ की परत के ठीक नीचे है.

प्लूटो की सतह काफी ठंडी है इसलिए वहां पर पानी की बर्फ चट्टान जैसी मजबूत और स्थिर हैं. तस्वीरों के अनुसार यह निशान लगभग 450 किलोमीटर लंबाई और 410 किलोमीटर चौडाई में फैले हुए हैं. इसे न्यू हॉराइजंस ने प्लूटो से 33,900 किलोमीटर की दूरी से लिया है. पिछले साल 14 जुलाई को इस अंतरिक्ष यान के प्लूटो के सबसे नजदीक पहुंचने से करीब 45 मिनट पहले इन तस्वीरों को लिया गया. एलईआईएसए से मिले आंकडों को तब प्राप्त किया गया जब वह प्लूटो से तकरीबन 47,000 किलोमीटर दूर था.

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