ब्रसेल्स : ब्रसेल्स की ग्रांड मस्जिद में शुक्रवार की नमाज के लिए एकत्र हुए लोगों ने मस्जिद के बाहर ‘अल्लाहू अकबर’ के साथ-साथ ‘लॉन्ग लिव बेल्जियम’ के नारे लगाए जिससे शहर में आतंकी हमले के बाद कट्टरपंथ से लडने के लिए दबाव का अहसास हुआ.
इमाम न्दियाए मौहमद गालाए ने नमाज से पहले कहा ‘समय आ गया है कि कार्रवाई करें. आज हम लोग कट्टरपंथ के खिलाफ कार्यक्रम शुरु कर रहे हैं.’ इससे पहले बेल्जियम और यूरोपीय संघ के ध्वज शहर की मुख्य मस्जिद के प्रवेश द्वार पर लहराए गए. यह मस्जिद यूरोपीय संघ के मुख्यालय और कई दूतावासों के करीब है.
इमाम ने कहा ‘अपराधियों ने जघन्य अपराध किए हैं. हम उन्हें बताने जा रहे हैं कि उन्होंने जो किया, उसका इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है.’ उन्होंने कहा ‘शुक्रवार का प्रवचन वर्तमान घटनाक्रम पर केंद्रित होगा.’ बेल्जियम में हुए हमले की निंदा करते हुए सेनेगल में जन्मे इमाम ने कहा कि इस हमले से मुस्लिम दुखी और शर्मिन्दा हैं.
उन्होंने लोगों से घायलों के लिए रक्तदान करने की अपील की. इस हमले में 31 लोग मारे गए और करीब 300 घायल हो गए थे. नमाज के बाद लोग मस्जिद के समीप शहर के एक पार्क सिन्क्वान्तेनायर के बाहर एकत्र हुए और ‘लॉन्ग लिव बेल्जियम’ के नारे लगाए.
इसके बाद बडी संख्या में लोग गालाए की अगुवाई में मालबीक मेट्रो स्टेशन गए जहां उन्होंने उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जो तीन में से एक हमलावर द्वारा खुद को ट्रेन में उडाने से मारे गए थे.
यह मस्जिद 1978 में सउदी अरब के प्रयासों से खोली गई थी. उन दिनों इस्लाम की जटिल व्याख्या के लिए सउदी अरब आलोचना का सामना कर रहा था और धार्मिक केंद्रों के उसके वैश्विक वित्त पोषण को अक्सर जिहादियों के स्रोत स्थलों के तौर पर देखा जाता था. बेल्जियन इस्लामिक एंड कल्चरल सेंटर (सीआईसीबी) का मुख्यालय इसी मस्जिद में है.
इमाम ने कहा ‘हमें सउदी अरब से वित्तीय मदद नहीं मिल रही है बल्कि यह मदद हमें वर्ल्ड इस्लामिक लीग से मिल रही है.’ उन्होंने कहा कि (बेल्जियम से) सीरिया के लिए गए 400 या 500 युवाओं में से एक भी हमारे यहां नहीं पढा है. ‘यह सब कुछ सोशल मीडिया पर, इंटरनेट पर हुआ है और इनमें से ज्यादातर लोग समाज की मुख्यधारा से अलग हो चुके लोग हैं, अपराधी हैं.’
इमाम ने कहा ‘पेरिस और अन्य जगहों पर जो कुछ हुआ उसकी हम बार बार निंदा करते हैं. समय आ गया है कि कार्रवाई करें. बेल्जियम पर हमला हुआ है.’ सीआईसीबी का उद्देश्य युवाओं को लक्ष्य कर कार्यक्रम शुरु करना है और उन्हें इस्लाम के उदार रुख के बारे में बताना है. गालाये ने कहा कि परियोजना लगभग शुरु हो चुकी है. उन्होंने कहा कि वह उन परिवारों की अक्सर काउंसलिंग करते हैं जो इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि उनके बच्चे कट्टरपंथी बन रहे हैं.
इमाम ने कहा ‘हम उनसे संपर्क करने की कोशिश करते हैं. हमने कई युवाओं को सीरिया जाने से रोका है. इनमें से कुछ तो अब यहां पढ भी रहे हैं.’