आतंकवाद को परिभाषित करने में असमर्थ है UN : नरेंद्र मोदी
ब्रसेल्स : पिछले सप्ताह यहां हुए आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद से विश्व के समक्ष उत्पन्न खतरों को रेखांकित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र को ऐसी बड़ी चुनौतियों से निपटना चाहिए. ऐसा न कर पाने की स्थिति में यह वैश्विक संस्था अप्रासंगिक हो सकती है. यहां भारतीय मूल के […]
ब्रसेल्स : पिछले सप्ताह यहां हुए आतंकी हमलों की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद से विश्व के समक्ष उत्पन्न खतरों को रेखांकित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र को ऐसी बड़ी चुनौतियों से निपटना चाहिए. ऐसा न कर पाने की स्थिति में यह वैश्विक संस्था अप्रासंगिक हो सकती है. यहां भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र अब तक आतंकवाद को परिभाषित करने में असमर्थ है. यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि आतंकवाद को मदद या शरण देने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कहने वाले प्रस्ताव पर कानून बनाने में भी यह सक्षम नहीं हो पाया है.
आतंकवाद को धर्म से हटाकर देखे जाने की जरुरत पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि इस खतरे ने पूरी मानवता के खिलाफ चुनौती पेश की है और जो लोग मानवता में यकीन रखते हैं, उन्हें मिलकर इससे लडना चाहिए. उन्होंने कहा कि आतंकवाद को सिर्फ बंदूकों से नहीं हराया जा सकता, इसके लिए समाज में एक ऐसा माहौल बनाने की जरुरत है, जो यह सुनिश्चित करे कि युवा चरमपंथ का शिकार नहीं बनें.
संयुक्त राष्ट्र अपने कर्तव्य निभाने में नाकाम
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व आतंकवाद के असर को सिर्फ अब महसूस कर रहा है जबकि भारत इस खतरे का सामना पिछले 40 साल से भी अधिक समय से कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘दुनिया 9/11 से दहल गई. तब तक वैश्विक शक्तियों ने यह नहीं समझा था कि भारत किस स्थिति से गुजर रहा है. लेकिन भारत ने कभी भी आतंकवाद के आगे घुटने नहीं टेके और उसके सामने झुकने का कोई सवाल ही नहीं उठता.’ संयुक्त राष्ट्र के संदर्भ में मोदी ने कहा कि उसके पास युद्ध से निपटने का हर साधन और प्रक्रिया है लेकिन यह दुर्भाग्य ही है कि संयुक्त राष्ट्र यह नहीं जानता कि आतंकवाद की परिभाषा क्या है और इससे कैसे निपटना है.
उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र इस संदर्भ में अपना कर्तव्य नहीं निभा पाया है. यदि संयुक्त राष्ट्र इस समस्या से नहीं निपटता है तो वह दिन दूर नहीं, जब वैश्विक संस्था अपनी प्रासंगिकता ही खो बैठेगी.’ मोदी ने कहा कि वैश्विक नेताओं को आतंकवाद के खात्मे की पहल करनी होगी. ऐसा करने में विफल रहने पर विश्व को और अधिक तबाही देखनी पड़ सकती है. अपने एक घंटे के संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को भी रेखांकित किया, जिसमें भ्रष्टाचार खत्म करने, सरकार के कामकाज में पारदर्शिता लाने के साथ-साथ विभिन्न कार्यक्रमों का भी उल्लेख किया गया.
प्रधानमंत्री के भाषण से पहले ब्रसेल्स बम हमलों में मारे गये लोगों की याद में एक मिनट का मौन रखा गया. हाल के हमलों को एक भयावह कृत्य करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं.’ उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में, 90 देशों को आतंकी हमलों का सामना करना पडा है और सैकडों लोग इसके शिकार बने हैं. यहां मेरी वार्ताओं में, मुख्य मुद्दा आतंकवाद था.’
सबसे तेज गति से विकास करने वाला देश है भारत
भारत में पिछले दो साल में हुई प्रगति का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि भारत आज सबसे तेज गति से विकसित होता देश है. उन्होंने कहा, ‘यह नसीब या मोदी की वजह से नहीं हुआ है, यह जनता की वजह से हुआ है. लगातार पिछले दो साल में, भारत के विभिन्न हिस्सों में सूखा पडा है लेकिन फिर भी देश ने तेज गति से प्रगति की है. यदि हमारे इरादे अच्छे हैं तो कोई भी भारत को तरक्की करने से नहीं रोक सकता.’ प्रधानमंत्री ने उन प्रवासी भारतीयों के लिए टीडीएस की उच्च दरों में राहत की भी घोषणा की, जिनके पास पैन (पर्मानेंट अकाउंट नंबर) नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘पहले जिन प्रवासी भारतीयों के पास पैन नहीं होता था, उन्हें टीडीएस की उच्च दरों का सामना करना पडता था. उन्हें मुक्ति मिलेगी. हम प्रवासी भारतीयों के लिए ‘फ्री बैगेज लिमिट’ (सफर में बिना शुल्क के लाए जा सकने वाले सामान के वजन की सीमा) भी बढाएंगे. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए, प्रवासी भारतीयों को वही लाभ मिलेंगे, जो अन्य निवेशकों को मिलते हैं.’