आदिवासी कबीलों के विलुप्त होने पर राष्ट्रपति ने चिंता जतायी

पोर्ट ब्लेयर: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज भारत के स्थानीय आदिवासियों के कुछ कबीलों के विलुप्त होने पर आज चिंता जतायी. मुखर्जी ने यह भी कहा कि उनके विकास की नीतियों को उनकी जीवन पद्धति के अनुरुप होना चाहिए. मुखर्जी ने कहा कि आदिवासी आबादी के बारे में एक व्यापक नजरिया यह है कि इनके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2014 7:18 PM

पोर्ट ब्लेयर: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज भारत के स्थानीय आदिवासियों के कुछ कबीलों के विलुप्त होने पर आज चिंता जतायी. मुखर्जी ने यह भी कहा कि उनके विकास की नीतियों को उनकी जीवन पद्धति के अनुरुप होना चाहिए.

मुखर्जी ने कहा कि आदिवासी आबादी के बारे में एक व्यापक नजरिया यह है कि इनके समावेशी नहीं होने के कारण कई महत्वपूर्ण कबीले विलुप्त हो गये. उन्होंने कहा कि ऐसी नीति स्थिर नहीं होनी चाहिए बल्कि समय की आवश्यकता के अनुसार उनमें लचीलापन होना चाहिए.

अंडमान एवं निकोबार अनुसंधान संस्थान (एएनटीआरआई) के उद्घाटन पर बोलते हुए मुखर्जी ने कहा कि आदिवासी आबादी की जरुरतों को इस तरह से पूरा नहीं करना चाहिए जो उनकी जीवन पद्धति के खिलाफ हो.

उन्होंने उम्मीद जतायी कि संस्थान ऐसे अध्ययन करेगी जिससे अंडमान एवं निकोबार के आदिवासियों के कल्याण की नीतियां बनाने में मदद मिलेगी.

एएनटीआरआई द्वारा एक संग्रहालय स्थापित करने का प्रस्ताव होने के बारे में बताये जाने पर उन्होंने कहा कि परियोजना को जोर आदिवासी जीवन पर अध्ययन करने का होना चाहिए.

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