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चीन ने भारतीय सीमा पर तैनात जवानों का रैंक सुधारा

बीजिंग: एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए चीन ने भारत के साथ लगी अपनी सीमा की सुरक्षा करने वाली तिब्बत सैन्य कमान को पीएलए के जमीनी बलों के तहत शामिल कर दिया और उसका स्तर उन्नत कर दिया. चीन ने कहा है कि यह कमान ‘‘भविष्य में किसी सैन्य युद्धक अभियान” को भी हाथ में ले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 13, 2016 1:23 PM

बीजिंग: एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए चीन ने भारत के साथ लगी अपनी सीमा की सुरक्षा करने वाली तिब्बत सैन्य कमान को पीएलए के जमीनी बलों के तहत शामिल कर दिया और उसका स्तर उन्नत कर दिया. चीन ने कहा है कि यह कमान ‘‘भविष्य में किसी सैन्य युद्धक अभियान” को भी हाथ में ले सकती है.

सरकारी ग्लोबल टाईम्स के पहले पन्ने पर छपी रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘चीन ने तिब्बत सैन्य कमान (टीएमसी) का स्तर उंचा कर दिया है.” इसने एक अन्य सरकारी अखबार ‘चाइना यूथ डेली’ का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘टीएमसी का राजनीतिक ओहदा उसकी समकक्ष प्रांत स्तरीय सैन्य कमानों से एक स्तर उंचा कर दिया जाएगा और यह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के नेतृत्व में आ जाएगी . ”
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘यह पदोन्नति टीएमसी कमान के गठन के एक नए सफर को रेखांकित करती है.” अचानक की गई इस ‘पदोन्नति’ को कई पर्यवेक्षक हैरानी की नजर से देख रहे हैं क्योंकि पीएलए इस साल के सुधार के तहत अधिकतर प्रांतीय सैन्य कमानों को केंद्रीय सैन्य आयोग :सीएमसी: के नए नेशनल डिफेंस मोबिलाइजेशन डिपार्टमेंट के नियंत्रण में लेकर आई है. सीएमसी दरअसल पीएलए की सबमें उंची कमान है. इसकी अध्यक्षता सीधे राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा की जाती है, जो सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रमुख भी हैं.
रिपोर्ट में ‘इस मामले के करीबी सूत्रों’ के हवाले से बताया गया, ‘‘वहीं, दूसरी ओर टीएमसी चीनी जमीनी बलों के अंतर्गत है. इसका अर्थ यह है कि वह भविष्य में किसी सैन्य युद्धक अभियान को अपने हाथ में ले सकती है.” बहरहाल, इसकी विस्तृत जानकारी नहीं दी गई कि ‘सैन्य युद्धक अभियान’ क्या होगा? वरिष्ठ सैन्य पर्यवेक्षकों ने इस रिपोर्ट को उलझाव से भरी बताया है.पिछले साल तक, चीन के सात सैन्य इलाके बीजिंग, नान्जिंग, चेंग्दू, जिनान, शेन्यांग, लांझोउ और ग्वांगझू में थे. इनमें से चेंग्दू अरुणाचल प्रदेश समेत तिब्बत क्षेत्र में भारत के पूर्वी सेक्टर की सुरक्षा की देखभाल करता रहा है. वहीं शिनजियांग में लांझोउ कश्मीर क्षेत्र और पाकिस्तान समेत पश्चिमी सेक्टर का आंशिक रुप से निरीक्षण करता था.
रणनीतिक जोन योजना के अनुसार, चेंग्दू और लांझोउ को रणनीतिक कमान क्षेत्र में शामिल किया जाना इसे चीनी सेना के लिए संभवत:सबसे बडा क्षेत्र बनाता है.टीएमसी को लेफ्टिनेंट जनरल के स्थान पर चार सितारा वाला जनरल मिल सकता है. वहीं लांझोउ में जो युद्धक बल तैनात हैं, उनका नेतृत्व पहले ही एक जनरल द्वारा किया जा रहा है.सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘‘यह रिपोर्ट बहुत उलझाव वाली है. हमें एक सही नजरिया प्राप्त करने के लिए और अधिक जानकारी की जरुरत है.”
दोनों देशों के बीच 3488 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा से जुडे विवाद के बावजूद भारत और चीन की सीमाओं पर आम तौर पर शांति रहती है. उन्होंने भारत के दावों वाले इलाकों में पीएलए सैनिकों द्वारा किए जाने वाले अतिक्रमणों से जुडे मुद्दांे के निपटान के लिए जमीनी और सरकारी स्तर पर एक तंत्र स्थापित किया है.इस मुद्दे पर पिछले माह रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर की चीन यात्रा के दौरान व्यापक चर्चा हुई थी. इस दौरान दोनों पक्ष सेनाओं के बीच ‘हॉट लाइन’ स्थापित करने के लिए राजी हो गए थे.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए 24 मई से चीन की यात्रा पर जाना है. बहरहाल, पाकिस्तान आधारित आतंकी नेताओं को प्रतिबंधित करने की भारत की कोशिश को अवरुद्ध करने के चीन के प्रयासों पर दोनों देशों के बीच मतभेद बढे हैं.चीन भी पाक अधिकृत कश्मीर में निवेश बढा रहा है. वहां के रास्ते चीन 46 अरब डॉलर का आर्थिक गलियारा बना रहा है. विश्लेषकों ने कहा कि टीएमसी का स्तर बढाकर और उसे पीएलए के जमीनी बलों के अधिकारक्षेत्र में रखकर चीन तिब्बत में अपनी सैन्य मौजूदगी लगातार बढा रहा है. उसका उद्देश्य सैन्य कमान को और युद्धक कार्य संभालने के लिए तैयार करना है.

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