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दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी की पोती को किया गया सम्मानित

जोहानिसबर्ग : महात्मा गांधी की पोती ईला गांधी को दक्षिण अफ्रीका की आजादी की लड़ाई में उनके जीवनपर्यंत योगदान के लिए सम्मानित किया गया है. गांधी एवं अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस की सशस्त्र संघर्ष शाखा उम्खोन्तो वे सिज्वे के कई सदस्यों के कार्यो की सराहा गया. गांधी के अलावा भारतीय मूल के दो और दक्षिण अफ्रीकियों […]

जोहानिसबर्ग : महात्मा गांधी की पोती ईला गांधी को दक्षिण अफ्रीका की आजादी की लड़ाई में उनके जीवनपर्यंत योगदान के लिए सम्मानित किया गया है. गांधी एवं अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस की सशस्त्र संघर्ष शाखा उम्खोन्तो वे सिज्वे के कई सदस्यों के कार्यो की सराहा गया. गांधी के अलावा भारतीय मूल के दो और दक्षिण अफ्रीकियों – सन्नी सिंह और मैक महाराज को सम्मानित किया गया.

साल 1994 में दक्षिण अफ्रीका के लोकतंत्र की राह पर आगे बढ़ने के साथ पूर्व उम्खोन्तो वे सिज्वे के सदस्यों को दक्षिण अफ्रीकी रक्षा बल में शामिल कर लिया गया था जब नेल्सन मंडेला को जेल से रिहा किया गया और वे पहले लोकतांत्रिक निर्वाचित राष्ट्रपति बने.

देश की सेना ने अमादेलाकुफू पुरस्कारों की मेजबानी की. अमादेलाकुफू का मतलब जुलू भाषा में बलिदान होता है. गांधी ने यह स्पष्ट किया कि वह कभी भी सशस्त्र शाखा की सदस्य नहीं रहीं लेकिन फिर भी उन्हें पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

ईला गांधी दक्षिण अफ्रीका में कई सामुदायिक परियोजनाएं चलाती हैं जिनमें फोनिक्स आश्रम में चल रही परियोजना शामिल है. महात्मा गांधी ने डरबन में रहते हुए इसी आश्रम में रंगभेद के खिलाफ आंदोलन चलाया था.

सन्नी सिंह ने कहा कि जब वह 42 साल पहले स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बने थे तब उन्होंने कोई पुरस्कार मिलने की उम्मीद नहीं की थी. उन्होंने रंगभेद के खिलाफ जीत को सबसे बड़ा सम्मान बताया.

सिंह ने कहा कि वह अपने काम को मान्यता मिलने से बहुत खुश हैं. महाराज समारोह में शामिल नहीं हो पाए. वह इस समय राष्ट्रपति जैकब जुमा के प्रवक्ता के तौर पर कार्यरत हैं. वह रोबेन द्वीप पर मंडेला के साथ रहे थे.

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