अमेरिका चाहता है कि अफगानिस्तान आगामी हफ्तों में करे सुरक्षा संधि पर हस्ताक्षर

वाशिंगटन : अमेरिका चाहता है कि अमेरिकी सैनिकों को वर्ष 2014 के बाद भी अफगानिस्तान में बनाए रखने के लिए अफगानी सरकार के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते :बीएसए: पर आगामी कुछ सप्ताहों के भीतर हस्ताक्षर हो जाने चाहिए. उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार बेन रोड्स ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि ये फैसले आगामी कुछ सप्ताहों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2014 11:36 AM

वाशिंगटन : अमेरिका चाहता है कि अमेरिकी सैनिकों को वर्ष 2014 के बाद भी अफगानिस्तान में बनाए रखने के लिए अफगानी सरकार के साथ द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते :बीएसए: पर आगामी कुछ सप्ताहों के भीतर हस्ताक्षर हो जाने चाहिए.

उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार बेन रोड्स ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि ये फैसले आगामी कुछ सप्ताहों के भीतर ले लिए जाएं। राष्ट्रपति ने इस बारे में हमें 2014 के बाद बीएसए के मौके पर सैन्य उपस्थिति के बारे में स्पष्ट तौर पर बता दिया है कि अगर यदि बीएसए नहीं अपनाया जाता तो हम अफगानिस्तान में सैनिक नहीं रखने वाले हैं.’’

एक सवाल के जवाब में रोड्स ने कहा, ‘‘हमें अफगानिस्तान में सैनिक न होने की स्थिति के लिए भी योजना तैयार करनी है.’’ रोड्स ने कल कहा, ‘‘अभी हम इन सभी क्षेत्रों की योजना बना रहे हैं लेकिन सैनिकों की संख्या पर फैसला करने के लिए हमें बीएसए के सवाल पर निश्चिंतता चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि द्विपक्षीय सुरक्षा समझौता अमेरिका और अफगानिस्तान दोनों के लिए ही अच्छा समझौता है और अफगान सरकार को इस पर हस्ताक्षर कर देने चाहिए.

नाटो के नेतृत्व वाले लगभग 58 हजार सैनिक अभी भी अफगानिस्तान में हैं और वे 2014 के अंत तक यहां से चले जाएंगे.वाशिंगटन लगभग 10 हजार अमेरिकी सैनिकों को वर्ष 2015 से वहां तैनात करने का प्रस्ताव रख रहा है ताकि तालिबान उग्रवादियों से लड़ने के लिए अफगान सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण और मदद दी जा सके.

ओबामा के इस शीर्ष सहयोगी रोड्स ने कहा कि अमेरिका को 2014 तक सैन्य बलों की निकासी और बाद में सहयोगी बलों को भेजने से जुड़ी पर्याप्त योजनाएं बनानी हैं.उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यदि हमें बीएसए होने के बारे में पता नहीं है तो हम 2014 के बाद अफगानिस्तान में सैनिकों की मौजूदगी की योजना नहीं बना सकते.’’ रोड्स ने कहा ‘‘हमें अपने नाटो सहयोगियों के साथ एकत्र होने की जरुरत है क्योंकि उनका चले जाने से असर तो पड़ेगा ही, चाहे बीएसए हो या न हो। इसलिए गठबंधन के साथ समन्वय की हमारी क्षमता इस निश्चिंतता पर निर्भर करती है कि हमारे पास बीएसए होगा। इसलिए यह जरुरी है.’’

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