वैज्ञानिकों को इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि 9,000 से 5,000 साल पहले के बीच की अवधि, जिसे मध्य-होलोसिन काल कहा जाता है, में क्वीन मौड लैंड में पूर्वी अंटार्कटिक की बर्फ की चादर तेजी से पिघली. उन्होंने कहा कि अंतिम हिमयुग की समाप्ति के बाद पूर्वी अंटार्कटिका में बर्फ की चादर पतली थी, जबकि पहले उत्तरी अमेरिका, उत्तरी यूरोप और दक्षिणी दक्षिण अमेरिका में बर्फ की मोटी चादर होती थी.
जब ये बर्फ की चादर पिघली तो समुद्र का जलस्तर 100 मीटर से अधिक बढ़ गया. अगर अंटार्कटिका की आज के समय की बर्फ पूरी तरह पिघल जाए तो समुद्र का स्तर औसत 58 मीटर बढ़ जाएगा. दुनिया का 60 प्रतिशत ताजा जल अंटार्कटिका की बर्फ की चादरों में समाहित है.
नॉवेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, नॉर्वे में भूगोल विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर इरिना रोगोझिना ने कहा, ‘‘पूर्वी अंटार्कटिका की बर्फ चादरों में पानी का विपुल भंडार है.
इसका मतलब है कि यह भविष्य में समुद्र स्तर बढ़ने का सबसे बड़ा संभावित स्रोत है.’’ अनुसंधानकर्ताओं ने क्वीन मौड लैंड में ब्रह्मांडीय विकिरण के संपर्क में आने से बर्फ के बीच खुली चट्टानों (नुनटक) का अध्ययन करके तेजी से बर्फ पिघलने से जुड़े रहस्य का पता लगाने का तरीका खोजा.