भारत ने अफगानिस्तान को सहयोग की प्रतिबद्धता जतायी
भारत ने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान की सहायता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि उसके पास अफगानिस्तान में ‘बाहर निकलने की रणनीति’ जैसा कोई विकल्प नहीं है. भारत ने साथ ही अफगानिस्तान नियंत्रित सुलह प्रक्रिया का आह्वान किया और तालिबान की तरह अफगानिस्तान सरकार के साथ व्यवहार की किसी भी कोशिश को खारिज कर दिया. […]
भारत ने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान की सहायता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि उसके पास अफगानिस्तान में ‘बाहर निकलने की रणनीति’ जैसा कोई विकल्प नहीं है. भारत ने साथ ही अफगानिस्तान नियंत्रित सुलह प्रक्रिया का आह्वान किया और तालिबान की तरह अफगानिस्तान सरकार के साथ व्यवहार की किसी भी कोशिश को खारिज कर दिया.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन :यूएनएएमए: से जुडी बहस के दौरान भारत ने जोर दिया कि अफगानिस्तान की सुरक्षा एवं स्थिरता को मुख्य खतरा ‘अफगानिस्तान की सीमा के बाहर’ से पैदा हो रहे आतंकवाद से है जो अफगानिस्तान के साथ दोस्ताना संबंध रखने वाले भारत जैसे देशों में आतंकवादी गतिविधियों को बढावा देता है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत अशोक कुमार मुखर्जी ने कहा कि एक शांतिपूर्ण, बहुलवादी, लोकतांत्रिक और समृद्ध अफगानिस्तान के निर्माण के बीच भारत की अफगानिस्तान सरकार और वहां के लोगों की सहायता को लेकर लंबे समय से स्थापित नीति और प्रतिबद्धता रही है. उन्होंने पिछले महीने भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की कंधार यात्रा का हवाला देते हुए कहा, ‘‘भारत के पास अफगानिस्तान से ‘बाहर निकलने की रणनीति’ जैसा विकल्प नहीं है.’’ खुर्शीद एक कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के उद्घाटन के लिए कंधार गए थे.