Loading election data...

पृथ्वी के बेहद करीब आ रहा है ‘सोने-चांदी’ से भरा उल्कापिंड, अरबों-खरबों से भी कीमती है एक छोटा टुकड़ा

भारत के बेहद करीब आ रहे एक उल्कापिंड के बारे में वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह सोने, चांदी और कई कीमती धातुओं का खदान है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 7, 2021 6:05 PM

नयी दिल्ली : अंतरीक्ष एजेंसी नासा ने पृथ्वी के करीब आते एक उल्कापिंड के बारे में जानकारी दी है, जो सोन और चांदी के खान से भरी हो सकती है. नासा की ओर से जानकारी दी गयी कि इन उल्कापिंड में न केवल सोने की खदान, बल्कि कई और धातुओं के खदान भी हो सकते हैं. इसकी कुल कीमत अरबो-खरब डॉलर से भी ज्यादा हो सकती है.

ब्रह्मांड में कई सोलर सिस्टम है. वैज्ञानिक लगातार पता लगाने का प्रयास करते रहते हैं कि पृथ्वी के अलावा और किस ग्रह पर जीवन के लक्षण है. वैज्ञानिक यह भी पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि किस किस ग्रह पर पानी या ऑक्सीजन है जो जीवन के लिए जरूरी है. हर कोई ब्रह्मांड के बारे में जानने की इच्छा रखता है. इस उल्कापिंड के बारे में जानकारी देते हुए नासा ने कहा कि यह कई कीमती धातुओं का खान हो सकता है.

वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि इस पूरे उल्कापिंड में इतने कीमती धातु हो सकते हैं, जिसकी अनुमानित कीमत 10 हजार क्वाड्रिलियन डॉलर है. इसका मतलब यह हुआ कि इसके एक छोटे से टुकड़े की कीमत भी खरबों रुपये हो सकती है. वैज्ञानिकों ने इस उल्कापिंड को Psyche 16 asteroid नाम दिया है. कई वैज्ञानिकों का दावा है कि यह उल्कापिंड किसी ग्रह का टूटा हुआ टुकड़ा हो सकता है.

Also Read: उल्कापिंड गिरने से 50 हजार साल पहले बनी थी ये झील, रातोंरात गुलाबी हो गया पानी, आम के साथ विशेषज्ञ भी हैरान

नासा ने बताया है कि यह उल्कापिंड मार्स औ जूपिटर के बीच मौजूद है. नासा ने एक नया मिशन शुरू किया है. इस मिशन के तहत 2026 तक इस उल्कापिंड तक पहुंचने का प्रयास किया जायेगा. इस उल्कापिंड के नजदीक जाकर इसकी स्टडी की जायेगी. यह पता लगाने का प्रयास किया जायेगा कि यह उल्कापिंड कौन से ग्रह का टुकड़ा है, फिर उस ग्रह के बारे में जानकारी जुटायी जायेगी.

वैज्ञानिकों के अनुमान के मुताबिक इस उल्कापिंड के अंदर सोना, चांदी, लोहा, और निकल जैसी कीमती धातुओं का बेशुमार भंडार है. ऐसा माना जा रहा है कि सोलर सिस्टम के निर्माण के समय हुई टक्कर में यह उल्कापिंड किसी ग्रह से टूटकर अलग हो गया होगा. वैज्ञानिकों को उम्मीद है 2026 तक इस उल्कापिंड के बारे में और भी अधिक जानकारी मिल जायेगी.

Next Article

Exit mobile version