अफगान के इमामों को तालिबानी फरमान, नमाज में शासक के आदेश का पालन करवाएं
Taliban Afghan Imams News अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान अब अपने मकसद को पूरा करने के लिए इस्लाम का भी इस्तेमाल करने लगा है. इसी कड़ी में तालिबान ने अफगान के इमामों से शुक्रवार की नमाज के दौरान लोगों को यह बताने के लिए कहा है कि कैसे सरकार के नियमों का पालन करना है.
Taliban Afghan Imams News अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान अब अपने मकसद को पूरा करने के लिए इस्लाम का भी इस्तेमाल करने लगा है. इसी कड़ी में तालिबान ने अफगान के इमामों से शुक्रवार की नमाज के दौरान लोगों को यह बताने के लिए कहा है कि कैसे सरकार के नियमों का पालन करना है.
रॉयटर्स ने इस्लामी कट्टरपंथी समूह के बयान का हवाला देते हुए इसकी जानकारी दी. काबुल एयरपोर्ट पर गुरुवार को हुए आतंकी हमले में 95 लोगों की मौत होने के बाद तालिबान ने यह फैसला लिया है. इससे पहले तालिबान ने अफगान के इमामों को आदेश दिया था कि वे शुक्रवार की नमाज के मौके पर हमारे खिलाफ आ रही रिपोर्ट्स को नजरअंदाज करते हुए सही जानकारी लोगों को दें. साथ ही तालिबान ने इमामों से अपील की थी कि वे लोगों को कहें कि अफगानिस्तान छोड़कर न जाएं. समूह ने कहा कि इमामों को हमारे देशवासियों को प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे देश की प्रगति के लिए काम करें न कि देश छोड़ने की कोशिश करें. इमामों को दुश्मन के नकारात्मक प्रचार का जवाब देना चाहिए.
बता दें कि काबुल एयरपोर्ट पर गुरुवार को हुए आत्मघाती हमले में अब तक 95 लोगों और 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई. जबकि, 150 से ज्यादा लोग घायल हो गए. वहीं, तालिबान का कहना है कि इस हमले में उसके भी 28 लोग मारे गए है. इन सबके बीच, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमलों से बेहद नाराज हैं. हमलों के बाद गुरुवार को बाइडन ने खुलासा किया कि उन्होंने मिलिट्री कमांडरों को आईएसआईएस-के की संपत्तियों, नेतृत्व और ठिकानों पर हमला करने के लिए ऑपरेशनल प्लान बनाने का आदेश दिया है.
उल्लेखनीय है कि तालिबान अपनी छवि को बेहतर करने की कोशिशों में जुटा है और इसी के मद्देनजर वह अफगान के इमामों का भी इस्तेमाल करना चाहता है. तालिबान अफगानिस्तान में पूरी तरह से इस्लाम का शासन चाहता है. बता दें कि तालिबान की वापसी के साथ ही अफगानिस्तान में एक बार फिर से कड़ी बंदिशें लागू होने का डर है. विशेष तौर पर महिलाओं की आजादी पर बड़ी पाबंदियां थोपी जा सकती हैं.