तालिबान के आगे अफगानिस्तान पस्त, मलाला यूसुफजई का ट्वीट- मुझे महिलाओं और अल्पसंख्यकों की ज्यादा चिंता

Afghanistan Taliban News तालिबान की ताकत के आगे अफगानिस्तान पस्त हो गया है. मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथों में आने के साथ ही राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया है. वहीं, नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई का बयान सामने आया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 15, 2021 9:23 PM

Afghanistan Taliban News तालिबान की ताकत के आगे अफगानिस्तान पस्त हो गया है. अफगानिस्तान पर अब तालिबान का कब्जा हो गया है. मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथों में आने के साथ ही राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया है. इन सबके बीच, अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर पाकिस्तान की नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई का बयान सामने आया है.

एक जमाने में तालिबान की गोली का शिकार बनी नोबल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने ट्वीट कर कहा है कि उन्हें अफगानिस्तान की महिलाओं, अल्पसंख्यकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की बेहद चिंता है. मलाला ने अपने ट्वीट में लिखा है, हम सभी हैरत में हैं. तालिबान जिस तरह से अफगानिस्तान में कब्जा जमाता जा रहा है, ये देख मैं स्तब्ध हूं. मुझे महिलाओं, अल्पसंख्यकों की काफी ज्यादा चिंता है. उन्होंने कहा कि वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय शक्तियों को तत्काल युद्धविराम का आह्वान करना चाहिए, तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करनी चाहिए और शरणार्थियों और नागरिकों की रक्षा करनी चाहिए.

मलाला यूसुफजई की तरफ से भी ये ट्वीट उस समय किया गया है, जब उन पर ऐसा करने का दवाब बना. बता दें कि तालिबान और अफगानिस्तान के बीच जारी संघर्ष पर कोई बयान नहीं देने को लेकर मलाला यूसुफजई को सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किया जा रहा था. दरअसल, उन्होंने कोई ट्वीट भी नहीं किया था. जिसको लेकर सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना की जा रही थी. कोई उन्हें सोशल मीडिया पर डरपोक, तो कोई उन्हें दोहरे मापदंड रखने वाला बता रहा था. लेकिन, अब मलाला ने पहली बार अफगानिस्तान की स्थिति पर ट्वीट किया है और तालिबान पर खुलकर टिप्पणी करते हुए अपनी मांग भी स्पष्ट की है. उल्लेखनीय है कि मलाला यूसुफजई का जन्म 12 जुलाई, 1997 को पाकिस्तान में हुआ था. मात्र 17 साल की उम्र में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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