Afganistan : अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से वहां के हाल बदल गए है. अगस्त 2021 में कब्जे में लिए गए अफगानिस्तान में तालिबान ने महिलाओं पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा दिए है. साथ ही महिलाओं को पढ़ने से लेकर नौकरी तक के लिए पाबंदियां लगा दी गयी है. लेकिन अब ऐसे में महिलाओं ने अपने अधिकार की लड़ाई शुरू कर दी है और अपने मौलिक अधिकारों के लिए काबुल में महिलाओं ने क्रांति की घोषणा की है.
महिलाएं शिक्षा, नौकरी पर लगे प्रतिबंध को लेकर सड़कों पर उतरी
स्थानीय सूत्रों की मानें तो अफगानिस्तान की महिलाएं शिक्षा, नौकरी पर लगे प्रतिबंध को लेकर सड़कों पर उतर चुकी है और इन पाबंदियों से आजादी की मांग कर रही हैं. विरोध प्रदर्शन में शामिल दोन्या सफी के अनुसार, आंदोलन का उद्देश्य नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं के मूल अधिकारों की रक्षा करना है, क्योंकि मूल अधिकारों तक पहुंच नागरिकों के लिए एक गंभीर आवश्यकता है.
‘अन्याय और असमानता से लड़ने के लिए यह अभियान शुरू किया’
एक स्थानीय चैनल से बातचीत के क्रम में एक प्रदर्शनकारी महिला सफी ने बताया कि हमने महिलाओं के खिलाफ अन्याय और असमानता से लड़ने के लिए यह अभियान शुरू किया है. आगे सफी ने कहा कि आंदोलन के समर्थकों में छात्र, शिक्षक और महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाले कई पूर्व सरकारी कर्मचारी शामिल हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी जतायी थी आपत्ति
बता दें कि अफगान में महिलाएं तालिबान द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण शिक्षा जैसी बुनियादी संबंधित चुनौतियों से जूझ रही हैं. वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी हाल के एक बयान में कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में महिलाएं अपने ही देश में निर्वासन में रह रही हैं. ऐसे में इसमें सुधार होने की जरूरत है. और लोगों को उनकी मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए.