फिर फूटे ट्रंप के बड़बोले बोल, कहा-भारत की हवा सबसे गंदी

कार्बन उत्सर्जन के मामले में अमेरिका दूसरे नंबर पर है. यूरोपियन यूनियन के आंकड़ों के हिसाब से दुनिया में सबसे ज्यादा कॉर्बन उत्‍सर्जन...

By Agency | October 24, 2020 6:23 AM
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अमेरिका में राष्‍ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में शुक्रवार को दोनों उम्‍मीदवारों ट्रंप और बिडेन में बहस हुई. बहत के दौरान ट्रंप ने कह दिया कि अमेरिका में कार्बन उत्‍सर्जन सबसे कम होता है. लेकिन आंकड़ो पर गैर करें तो ट्रंप का ये दावा पूरी तरह खोखला है. नवभारत टाइम्स में छपी खबर के अनुसार कार्बन उत्सर्जन के मामले में अमेरिका दूसरे नंबर पर है. यूरोपियन यूनियन के आंकड़ों के हिसाब से दुनिया में सबसे ज्यादा कॉर्बन उत्‍सर्जन चीन करता है. ग्‍लोबल लेबल पर 30 फीसदी कर्बन का उत्सर्जन अकेले चीन करता है. जबकि, अमेरिका करीब करीब 14 फीसदी उत्सर्जन करता है. वहीं, भारत करीब 7 फीसदी उत्सर्जन करता है.

कार्बन डायऑक्साइड उत्‍सर्जन रोकने में अमेरिका नाकाम रहा है. जो डाटा दिया गया है उसके अनुसार 2018 में अमेरिका ने 6.7 बिलियन टन ग्रीनहाउस गैसों का उत्‍सर्जन किया. वहीं, आबादी के लिहाज से भी प्रदूषण फैलाने में अमेरिका सबसे आगे है. अमेरिका में हर व्यक्ति एक साल में करीब 16.56 मीट्रिक टन सीओटू का उत्‍सर्जन करता है. जबकि, भारत इस लिस्‍ट में 21वें नंबर पर आता है. भारत में एक साल में प्रति व्‍यक्ति औसतन 1.96 मीट्रिक टन सीओटू का उत्‍सर्जन दर्ज किया गया है.

क्या है मामला : इससे पहले ट्रंप ने प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान चीन, भारत और रूस पर दूषित वायु से निपटने के लिए उचित कदम ना उठाने का आरोप लगाया. ट्रम्प ने कहा, ‘‘ चीन को देखिए, कितना गंदा है. रूस को देखिए , भारत को देखिए, वे बहुत गंदे हैं. हवा बहुत गंदी है.” डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के साथ करीब 90 मिनट चली बहस के दौरान ट्रम्प ने जलवायु परिवर्तन के सवाल पर कहा, ‘‘ इस प्रशासन के अधीन 35 वर्षों की तुलना में उत्सर्जन की स्थिति सबसे बेहतर है.

हम उद्योग के साथ अच्छी तरह से काम कर रहे हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘ पेरिस समझौते से मैंने हमें इसलिए अलग किया, क्योंकि हमें खरबों डॉलर खर्च करने थे और हमारे साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार हो रहा था.” ट्रम्प ने जलवायु परिवर्तन पर पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए भारत और चीन जैसे देशों पर बार बार आरोप लगाया है और कहा है कि इन देशों में हवा में सांस लेना नामुमकिन है.

राष्ट्रपति ने आरोप लगाया, ‘‘ पर्यावरण और ओजोन की बात करें तो हमारी स्थिति काफी बेहतर है. वहीं चीन, रूस, भारत ये सभी देश वायु को दूषित कर रहे हैं.” गौरतलब है कि चीन दुनिया को सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है. इसके बाद दूसरे नंबर अमेरिका और फिर इस सूची में भारत और यूरोपीय संघ क्रमश: तीसरे तथा चौथे नंबर पर है.

Posted by : Pritish Sahay

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